शिक्षकों के तनाव प्रबंधन पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ
- Post By Admin on Aug 12 2025

मुजफ्फरपुर : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), रामबाग, मुजफ्फरपुर में मंगलवार को शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर उत्पन्न तनाव के समाधान को लेकर दो दिवसीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। 12 और 13 अगस्त तक चलने वाली इस संगोष्ठी का मुख्य विषय “शिक्षकों को तनाव प्रबंधन में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाना” निर्धारित किया गया है।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्या अनामिका कुमारी, रजनीश जी एवं आनंद जी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। द्वितीय वर्ष की प्रशिक्षु छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत कर माहौल को उत्साहपूर्ण बना दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में एससीईआरटी के उप निदेशक श्री रवि कुमार, राम दयालू सिंह महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक श्री आनंद प्रकाश दुबे और लंगट सिंह महाविद्यालय के प्रोफेसर श्री रजनीश गुप्ता उपस्थित रहे।
प्राचार्या अनामिका कुमारी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान समय में तनाव, चिंता, बैचैनी और घबराहट किसी महामारी की तरह हर आयु वर्ग को प्रभावित कर रहे हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक, कोई भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे में शिक्षकों को न केवल अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों को भी तनावमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए।
विशेषज्ञ वक्ता श्री आनंद प्रकाश दुबे ने आत्म-जागरूकता और भावनात्मक नियमितीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि बड़े लक्ष्यों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उन्हें पूरा करने से लक्ष्य का भय समाप्त होता है। सामाजिक, सांस्कृतिक नियमों और वातावरण का दबाव व्यक्ति को भावनात्मक रूप से थका देता है, इसलिए आवश्यक है कि शिक्षक भावनात्मक संतुलन बनाए रखें और अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें।
उप निदेशक रवि कुमार ने कहा कि “इस धरती पर कोई ऐसा मनुष्य नहीं है जिसके जीवन में तनाव न हो। फर्क केवल इतना है कि कोई इसे अपने ऊपर हावी होने देता है और कोई अपनी समझ, ज्ञान और कुशलता से इसे नियंत्रित कर लेता है।” उन्होंने शिक्षकों को सलाह दी कि तनाव को चुनौती के रूप में लें और समाधान खोजने की आदत विकसित करें।
प्रोफेसर रजनीश गुप्ता ने तनाव के दो प्रकार बताए—एक, जो प्रेरणा देता है और व्यक्ति को आगे बढ़ने में मदद करता है, तथा दूसरा, जो कुशलता से न सुलझ पाने पर व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। उन्होंने कहा कि “ऐसे तनाव से डरना नहीं चाहिए, बल्कि सचेत होकर उसका समाधान खोजना चाहिए। डरने से बेचैनी, घबराहट और अवसाद जैसी स्थितियां बढ़ जाती हैं।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि व्यक्ति को अपने तनावपूर्ण विचारों और अनुभवों को किसी मित्र या सहयोगी से साझा करना चाहिए, जिससे मानसिक दबाव कम हो सके, और जरूरत पड़ने पर चिकित्सक की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता श्री अर्जुन गिरी ने किया। इस अवसर पर डायट के वरीय व्याख्याता श्री मनीष कुमार पांडेय, श्रीमती रश्मि, डॉ. संतोष राणा, श्री पंकज कुमार, श्रीमती रोली, श्रीमती अपर्णा, श्रीमती दीपन्ति, श्री राकेश कुमार, श्री अवनीश कुमार, डॉ. निर्मल कुमार, तथा ह्यूमन पीपल टू पीपल इंडिया संस्था से अश्विनी कुमार और दीपक सहित द्वितीय वर्ष के सभी प्रशिक्षु उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के दूसरे दिन 13 अगस्त को विषय विशेषज्ञ तनाव से मुक्ति के विभिन्न वैज्ञानिक, व्यवहारिक और व्यावहारिक उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसके बाद कार्यक्रम का औपचारिक समापन किया जाएगा। आयोजकों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को मानसिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में संतुलन स्थापित कर सकें और शिक्षा व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बना सकें।