इस शुक्रवार करें देवी लक्ष्मी की पूजा, दूर होंगे कष्ट और मिलेगा धन-लाभ
- Post By Admin on Nov 20 2025
नई दिल्ली : मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 नवंबर को दोपहर 2:47 बजे तक रहेगी, जिसके बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी। इस अवधि में सूर्य और चंद्रमा दोनों ही वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे। पंचांग के अनुसार, शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 बजे से 12:28 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 10:47 बजे से दोपहर 12:07 बजे तक रहेगा।
हालांकि इस दिन कोई प्रमुख पर्व नहीं है, लेकिन शुक्रवार का दिन स्वयं में अत्यंत शुभ माना जाता है। ब्रह्मवैवर्त और मत्स्य पुराण के अनुसार, शुक्रवार को मां लक्ष्मी, संतोषी माता और शुक्र ग्रह की विशेष आराधना करनी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सौभाग्य प्राप्त होता है।
शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने और उससे जुड़ी परेशानियों को दूर करने का प्रभावी उपाय माना जाता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा करने पर माता लक्ष्मी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। कोई भी जातक यह व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू कर सकता है। परंपरा है कि 16 शुक्रवार पूर्ण करने के बाद उद्यापन किया जाता है।
पूजा की विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। दीपक प्रज्वलित करें और फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम एवं मिठाई का भोग अर्पित करें।
इसके बाद ‘श्री सूक्त’ और ‘कनकधारा स्तोत्र’ का पाठ करें।
मंत्र जप लाभकारी माना गया है— “ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” और “विष्णुप्रियाय नमः” का जप भी लाभकारी है।
शुक्रवार का यह व्रत और पूजा न केवल जीवन में सुख-समृद्धि लाता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता भी प्रदान करता है।