माँ कालरात्रि करती हैं अपने भक्तों के भयों की नाश
- Post By Admin on Oct 09 2024

नई दिल्ली : एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङकरी।।
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति 'कालरात्रि' के नाम से जानी जाती है। दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप :
इनके शरीर का रंग घने अन्धकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्माण्ड के सदृश गोल हैं। इन से विद्युत के समान चमकीली किरणें निकालती रहती हैं। इनकी नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गदहा है। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है । बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकरी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
आज के दिन का महत्व :
इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। उसके लिये ब्रह्माण्ड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। उनके साक्षात्कार से मिलनेवाले पुण्य का वह भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है। उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।
कौन सी मनोकामनाएं होती हैं पूरी :
माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासक को अग्नि, जल, जन्तु, शत्रु, रात्रि आदि से भयभीत कभी नहीं होते हैं। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय मुक्त हो जाता है। इनकी उपासना से होनेवाले शुभों की गिनती नहीं की जा सकती हैं।
आज का शुभ रंग :
मां कालरात्रि को नीला रंग प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा पूजा के सातवें दिन नीले एवं लाल रंग के वस्त्र धारण करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।