महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे का डिमोशन पहली बार नहीं, कई मुख्यमंत्रियों का हो चुका है ऐसा अनुभव

  • Post By Admin on Dec 05 2024
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे का डिमोशन पहली बार नहीं, कई मुख्यमंत्रियों का हो चुका है ऐसा अनुभव

मुंबई : महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री पद से हटना कोई नया मामला नहीं है। राज्य के राजनीतिक इतिहास में पहले भी कई ऐसे मौके आए हैं जब मुख्यमंत्रियों को डिमोशन का सामना करना पड़ा था। इन घटनाओं को समझने के लिए हमें 1970 से शुरू होने वाले इस राजनीतिक ट्रेंड की ओर देखना होगा। जब कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता एसबी चव्हाण को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुख्यमंत्री पद के लिए चुना था।

1970 में एसबी चव्हाण का मुख्यमंत्री बनना और फिर बदलाव
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के पद पर बदलाव का सिलसिला 1970 से शुरू होता है। जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसबी चव्हाण को इंदिरा गांधी ने 1975-77 के बीच मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। हालांकि, इस पद पर ज्यादा समय तक उनका कार्यकाल नहीं चल पाया और बाद में उनका स्थान वसंतदादा पाटिल ने ले लिया। इस परिवर्तन से यह साफ था कि राज्य की राजनीति में मुख्यमंत्री का पद स्थिर नहीं होता था और सत्ता परिवर्तन एक सामान्य बात थी।

इसी तरह वसंतदादा पाटिल ने एसबी चव्हाण के स्थान पर मुख्यमंत्री का पद संभाला। महाराष्ट्र में यह बदलाव सत्ता के राजनीतिक संतुलन को दर्शाता है। जहां काबिलियत और नेतृत्व क्षमता से ज्यादा पार्टी के नेताओं के फैसले और उनके समीकरणों का प्रभाव होता है।

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के पद पर बदलाव या डिमोशन की कहानी केवल एकनाथ शिंदे तक सीमित नहीं है। समय-समय पर विभिन्न कारणों से राज्य के मुख्यमंत्रियों को या तो पद से हटा दिया गया या फिर उनकी स्थिति कमजोर हो गई। राजनीतिक समीकरणों और दलों के अंदरूनी संघर्षों के कारण राज्य में मुख्यमंत्रियों के पद पर बदलाव आते रहे हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री का पद हमेशा से एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां सत्ता के परिवर्तन का सीधा असर राज्य की राजनीतिक स्थिति, पार्टी के लिए लोकप्रियता और विकास कार्यों पर भी पड़ता है। एकनाथ शिंदे का डिमोशन भी उसी राजनीतिक परिपेक्ष्य का हिस्सा माना जा रहा है। जहां व्यक्तिगत या पार्टी के हितों को प्राथमिकता दी जाती है।