महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल, बीजेपी ने कांग्रेस को याद दिलाया 15 साल का हिसाब
- Post By Admin on Jul 03 2025

नई दिल्ली : महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को लेकर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राज्य और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट करते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। राहुल गांधी के इस बयान के जवाब में भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस-एनसीपी के 15 वर्षों के कार्यकाल का 'आंकड़ों के साथ' हिसाब पेश किया।
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा - "सोचिए, सिर्फ तीन महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली। क्या ये सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये 767 उजड़े हुए घर हैं। लेकिन सरकार चुप है, बेरुखी से देख रही है।"
उन्होंने बीज, खाद और डीजल की बढ़ती कीमतों, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की अनिश्चितता और कर्ज माफी की अनदेखी को किसानों की बदहाली का मुख्य कारण बताया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अमीरों के लोन माफ कर सकती है, लेकिन किसानों को राहत देने में असफल रही है।
इस पोस्ट के बाद भाजपा की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के बयान को "मृतकों की गिनती की घिनौनी राजनीति" करार दिया। उन्होंने एक इन्फोग्राफिक साझा करते हुए कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) के 15 सालों के कार्यकाल का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया कि उस दौरान 55,928 किसानों ने आत्महत्या की थी।
पोस्टर में लिखा गया - "राहुल गांधी पहले ये बताएं कि उनकी पार्टी की सरकार के दौरान इतने हजार किसानों ने क्यों जान दी? आज भाजपा-महायुति सरकार किसानों के हित में नीतिगत कार्य कर रही है।"
वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर विपक्षी दलों ने भी किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) सहित कई दलों ने सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया और तत्काल ठोस कदम उठाने की मांग की।
राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा अब तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर विपक्ष सरकार की नीतियों को किसानों की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है, तो दूसरी ओर सत्ताधारी पक्ष पुरानी सरकारों के रिकॉर्ड गिनाकर बचाव में उतर आया है।
अब देखना यह होगा कि किसानों की पीड़ा के इस गंभीर मुद्दे पर सरकार क्या कदम उठाती है, या यह भी महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हिस्सा बनकर रह जाएगा।