जिंदगी के हर फैसले पर काबू मुमकिन नहीं

  • Post By Admin on Jun 20 2018
जिंदगी के हर फैसले पर काबू मुमकिन नहीं

मुझे ऐसा लगा कि मैं एक तेज़ रफ़्तार ट्रेन से सफ़र कर रहा था। अपने में मग्न, सपने को बुनते हुए, ज़िंदगी को अपने अन्दाज़ से जीते हुए चला जा रहा था कि अचानक टीटी आया और मेरे कंधे को थपथपाते हुए कहा, सुनो तुम्हारा स्टेशन आ गया है। अब तुम्हें उतरना होगा!

मैंने कहा, नहीं-नहीं ! मैं नहीं उतर सकता। अभी मेरा सफ़र पूरा नहीं हुआ है। उसने फिर कहा, नहीं न! तुम्हारा सफ़र पूरा हो चुका है। अब आगे आने वाली किसी भी स्टेशन पर तुम्हें उतरना होगा। 

और फिर मुझे लगा कि हम सब सोचते कुछ और है और हो कुछ और जाता है. हम समझते हैं कि ज़िंदगी के हर फ़ैसले पर क़ाबू है हमारा मगर वो महज़ एक भूल होती है हमारी। 

पहली बार मुझे सही मायनों में यह अहसास हुआ कि आजादी का मतलब क्या होता है। यह एक उपलब्धि की तरह है। ऐसा लगता है कि मैंने पहली बार जिंदगी का स्वाद चखा। इसका जादुई पहलू देखा। भगवान के प्रति मेरा भरोसा और मजबूत हुआ। मुझे लगा कि यह मेरे रोम-रोम में समा गया। 

आगे क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, मैं ऐसा ही महसूस कर रहा हूं। मेरी इस जर्नी के दौरान लोगों ने मुझे शुभकामनाएं दीं, दुनियाभर के कई लोगों ने मुझे दुआ दी। उन्होंने जिन्हें मैं जानता हूं और उन्होंने भी जिन्हें मैं नहीं जानता। लोग अलग-अलग जगह से और अलग-अलग समय में दुआ कर रहे हैं और मुझे लगता है कि सभी की दुआएं एक हो गई हैं। ये दुआएं एक फोर्स की तरह मेरे स्पाइन से सिर तक दाखिल हो गई हैं। ये बढ़ रही हैं, कभी एक कली, एक पत्ते, एक टहनी और एक गोली की तरह। दुआओं के संग्रह से आया हर फूल, हर टहनी और हर पत्ती मुझे आश्चर्य, खुशी और जिज्ञाशा से भर देता है। यह अनुभूति होती है कि कॉर्क को किसी को कंट्रोल करने की जरूरत नहीं है। आप कुदरत के बनाए हुए झूले में झूल रहे हैं।"

हम सिर्फ़ सफ़र कर रहे होते हैं. हम मुसाफ़िर हैं और हमारे बस में सिर्फ़ इतना है कि हम ज़िंदगी की पिच पर हार न मानें!”

करीब चार महीने से लंदन में न्यूरोइंडोक्राइन नाम की गंभीर बीमारी का इलाज करा रहे एक्टर इरफान खान ने एक लेटर लिखकर अपना हाल बयां किया है। 

इरफान (51) ने अपने इस इमोशनल लेटर में लिखा है कि अब उन्होंने परिणाम की चिंता किए बगैर हथियार डाल दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें नहीं मालूम चार महीने या दो साल बाद जिंदगी कहां लेकर जाएगी।