प्लेसेंटा एजिंग से स्टिलबर्थ का खतरा, शुरुआती स्क्रीनिंग से बचाव संभव : शोध

  • Post By Admin on Dec 22 2025
प्लेसेंटा एजिंग से स्टिलबर्थ का खतरा, शुरुआती स्क्रीनिंग से बचाव संभव : शोध

कैनबरा : ऑस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई अध्ययन में पाया है कि गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा (नाल) की समय से पहले एजिंग स्टिलबर्थ का कारण बन सकती है। इस खोज से शुरुआती पहचान और रोकथाम की संभावनाओं पर नई उम्मीद जगी है।

शोध में पता चला कि प्लेसेंटा मां और बच्चे के बीच ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति का महत्वपूर्ण माध्यम है। अगर इसकी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो जाए, तो बच्चे को आवश्यक सपोर्ट नहीं मिल पाता, जिससे स्टिलबर्थ का खतरा बढ़ जाता है।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि सर्कुलर आरएनए नामक मॉलिक्यूल्स, जो सामान्यतः एजिंग टिशू में जमा होते हैं, स्टिलबर्थ के मामलों में प्लेसेंटा में अपेक्षा से पहले ही जमा हो जाते हैं। इससे सेलुलर ब्रेकडाउन और समय से पहले एजिंग शुरू हो जाती है।

फ्लिंडर्स हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की लीड ऑथर आन्या आर्थर्स ने बताया कि इन मॉलिक्यूल्स को कम करने से प्लेसेंटा की क्षति धीमी हुई और एजिंग में देरी आई, जिससे पता चलता है कि यह प्रक्रिया सिर्फ संकेत नहीं बल्कि सक्रिय कारण है। उन्होंने कहा कि सर्कुलर आरएनए को प्रेग्नेंसी के 15-16 हफ्ते में ही मां के खून में मापा जा सकता है, जो शुरुआती स्क्रीनिंग की संभावना को दर्शाता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस प्रक्रिया की पहचान से गर्भवती महिलाओं में जोखिम पहले से पहचाना जा सकेगा और चिकित्सकीय मदद समय पर उपलब्ध कराई जा सकेगी।

यह खोज स्टिलबर्थ कम करने के वैश्विक प्रयासों का हिस्सा है, जहां हर साल लगभग 2 लाख स्टिलबर्थ होते हैं। रेड नोज ऑस्ट्रेलिया और अन्य संस्थाएं भी गर्भावस्था में जोखिम घटाने और एंटीनेटल इंटरवेंशन्स पर काम कर रही हैं।

शोध के नतीजे भविष्य में नए स्क्रीनिंग टूल्स और उम्र बढ़ने की प्रक्रियाओं के प्रभावों को समझने में मदद कर सकते हैं, जिनका असर मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।