इंसान में लगाया सुअर का लीवर, डॉक्टर भी हैरान विज्ञान ने रचा नया इतिहास

  • Post By Admin on Mar 31 2025
इंसान में लगाया सुअर का लीवर, डॉक्टर भी हैरान विज्ञान ने रचा नया इतिहास

बीजिंग : विज्ञान ने एक बार फिर ऐसा चमत्कार कर दिखाया है जो सुनने में अविश्वसनीय लगता है, लेकिन आने वाले समय में लाखों जिंदगियां बचाने का जरिया बन सकता है। चीन के डॉक्टरों ने पहली बार इंसान के शरीर में सुअर का लीवर ट्रांसप्लांट कर दिया और हैरानी की बात यह रही कि बिना किसी रिएक्शन के यह लीवर 10 दिनों तक सही तरीके से काम करता रहा। इस अनोखे प्रयोग ने चिकित्सा जगत में हलचल मचा दी है और अब डॉक्टर इसे जीवित मरीजों पर आजमाने की तैयारी में हैं।

ऑर्गन डोनेशन की कमी से जूझ रही दुनिया को मिला नया विकल्प

हर साल लाखों लोग लीवर फेलियर की वजह से दम तोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें समय पर डोनर नहीं मिल पाता। ऑर्गन ट्रांसप्लांट की मांग अधिक है, लेकिन डोनर बेहद कम। इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने के लिए वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसान में एक जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर का लीवर ट्रांसप्लांट किया।

कैसे हुआ यह ऐतिहासिक ऑपरेशन?

चीन के फोर्थ मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने 10 मार्च 2024 को एक ब्रेन-डेड मरीज में सुअर का लीवर ट्रांसप्लांट किया। यह कोई साधारण सुअर नहीं था, बल्कि "मिनिएचर पिग" प्रजाति का सुअर था, जिसे जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए इंसानी शरीर के अनुकूल बनाया गया था। इस सुअर में 6 ऐसे जीन एडिट किए गए थे, जिससे शरीर इसे रिजेक्ट न करे।

डॉक्टरों ने 10 दिनों तक इस लीवर की कार्यप्रणाली पर नजर रखी और यह देखकर हैरान रह गए कि इस दौरान लीवर ने खून को फिल्टर किया, बाइल का उत्पादन किया और जरूरी प्रोटीन भी बनाए। हालांकि, मरीज के परिवार की रिक्वेस्ट पर 10 दिन बाद इस अध्ययन को रोक दिया गया।

पहली बार लिवर ट्रांसप्लांट ही क्यों?

पहले अमेरिका में सुअर की किडनी और दिल का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, लेकिन लिवर को ट्रांसप्लांट करना सबसे मुश्किल था। इसका कारण यह है कि लिवर शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है – यह खून को शुद्ध करने के साथ-साथ टॉक्सिन्स को तोड़ता है, बाइल बनाता है और पाचन क्रिया में मदद करता है। यही वजह है कि लिवर ट्रांसप्लांट को चिकित्सा विज्ञान में सबसे चुनौतीपूर्ण सर्जरी माना जाता है।

क्या इंसानों में सुअर का लीवर आम हो जाएगा?

डॉक्टर लिन वांग, जो इस रिसर्च से जुड़े हैं, का कहना है कि अभी इस तकनीक में सुधार की जरूरत है। इस ट्रांसप्लांट में एक बड़ी समस्या यह आई कि सुअर का लीवर इंसानी लीवर जितना बाइल और एल्ब्यूमिन प्रोड्यूस नहीं कर पाया। वैज्ञानिक अब इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए काम कर रहे हैं ताकि इसे जीवित मरीजों पर भी आजमाया जा सके।

भविष्य में क्या बदलाव ला सकता है यह प्रयोग?

अगर यह तकनीक सफल होती है, तो ऑर्गन डोनेशन की कमी को दूर करने में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है। लाखों लीवर फेलियर से जूझ रहे मरीजों को एक नया जीवन मिल सकता है। हालांकि, अभी इस पर और शोध किया जाएगा, लेकिन इस प्रयोग ने यह दिखा दिया है कि भविष्य में इंसानों के इलाज में जानवरों के अंगों का उपयोग एक नई सामान्य प्रक्रिया बन सकती है।

यह मेडिकल साइंस का एक ऐतिहासिक माइलस्टोन है, जो आने वाले दिनों में स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है।