इसरो के स्पैडेक्स मिशन का सफल लॉन्चिंग, डॉकिंग तकनीक में भारत बना चौथा देश
- Post By Admin on Dec 31 2024

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को स्पैडेक्स मिशन (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट) को सफलतापूर्वक लॉन्च कर भारत को अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बना दिया है। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग क्षमता विकसित करना है, जो भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और उपग्रह सेवा अभियानों के लिए अहम साबित होगा।
स्पैडेक्स मिशन का लॉन्च और सफलतापूर्वक डॉकिंग
स्पैडेक्स मिशन के तहत दो उपग्रहों को 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया। रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को एक ही कक्षा में स्थापित किया। जिनमें से एक उपग्रह (एसडीएक्स01) डॉकिंग के दौरान चेजर की भूमिका निभाएगा और दूसरा उपग्रह (एसडीएक्स02) टारगेट की भूमिका निभाएगा। इन दोनों उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम था।
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “स्पैडेक्स तैनात! स्पैडेक्स उपग्रहों का सफल पृथक्करण भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक और मील का पत्थर है।” इससे पहले, रॉकेट के लॉन्च पर इसरो ने लिखा था, “लिफ्टऑफ! पीएसएलवी-सी60 ने स्पैडेक्स और 24 पेलोड को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।”
भारत चौथा देश बना डॉकिंग तकनीक में माहिर
इसरो की इस सफलता से भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है। यह तकनीक भविष्य में भारत के कई प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम साबित होगी, जैसे कि “गगनयान” मिशन और “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” की स्थापना।
अंतरिक्ष मामलों के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए ट्वीट किया, “भारत अपने स्वदेशी रूप से विकसित ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ के माध्यम से अंतरिक्ष डॉकिंग की क्षमता की दिशा में कदम बढ़ाने वाले चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने वाला चौथा देश बन गया है।” सिंह ने कहा कि यह तकनीक “गगनयान” और “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” के लिए आकाश से आगे की यात्रा का मार्ग प्रशस्त करेगी।
स्पैडेक्स मिशन की विशेषताएं और महत्व
स्पैडेक्स मिशन के तहत, उपग्रहों के बीच स्वायत्त डॉकिंग के लिए एक विशेष सॉफ़्टवेयर सक्रिय किया जाएगा। जिसमें चार डॉकिंग सेंसर, पावर ट्रांसफर प्रौद्योगिकी और स्वदेशी स्वायत्त डॉकिंग रणनीतियों का उपयोग किया जाएगा। साथ ही, उपग्रहों के बीच एक अंतर-उपग्रह संचार लिंक (ISL) के जरिए स्वायत्त संचार किया जाएगा। जिससे दोनों उपग्रह एक-दूसरे की स्थिति का पता लगा सकते हैं।
इस मिशन का महत्व केवल तकनीकी रूप से ही नहीं, बल्कि भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसमें चंद्रयान-4 मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अन्य मानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजनाएं शामिल हैं। जिनके लिए डॉकिंग तकनीक आवश्यक होगी।
आगे की योजना और इसके प्रभाव
स्पैडेक्स मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, इसरो की योजना है कि दोनों उपग्रहों के बीच बिजली का हस्तांतरण किया जाएगा जो समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन जैसे अंतरिक्ष रोबोटिक्स एप्लिकेशन के लिए जरूरी होगा।
इस मिशन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके चौथे चरण, पीओईएम-4, में शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप्स के 24 पेलोड भी अंतरिक्ष में स्थापित किए जाएंगे जो इसरो के अंतरिक्ष अनुसंधान में शैक्षिक और व्यावसायिक सहयोग को बढ़ावा देंगे।