नेशनल लेवल की खिलाड़ी को बेचना पड़ रहा मोमो और चाउमीन
- Post By Admin on Jan 24 2025

सिरमौर : भारत की एक नेशनल लेवल बास्केटबॉल खिलाड़ी इंद्रा, जिन्हें छह बार राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने का मौका मिला, अब गुजारे के लिए फास्ट-फूड की दुकान चला रही हैं। सिरमौर जिले में एक दुकान खोलकर इंद्रा अपने पति के साथ मोमो और चाउमीन बेचने पर मजबूर हैं। उनका कहना है कि न तो उन्हें सरकारी नौकरी मिली और न ही कोई अन्य समर्थन, जिसके कारण उन्हें यह कठिन कदम उठाना पड़ा।
संघर्षों से भरा सफर
इंद्रा ने अपनी यात्रा की शुरुआत महज 11 साल की उम्र में की थी। जब उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया था। इसके बाद उन्होंने राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कई टूर्नामेंट्स में भाग लिया। लेकिन अब, कई सालों की मेहनत और समर्पण के बावजूद, इंद्रा को अपने करियर को संजीवनी देने के लिए आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि अधिकांश एथलीटों को सरकारी नौकरियां मिल चुकी हैं और वे अच्छे सेटल हो चुके हैं, जबकि उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया।
सरकारी नौकरी की मांग
इंद्रा ने भारतीय सरकार से गुहार लगाई है कि राष्ट्रीय स्तर पर खेल खेलने वाले एथलीटों को सरकारी नौकरी दी जाए। उनका कहना है कि यह न केवल एथलीटों का मनोबल बढ़ाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उनका मानना है कि सरकारी समर्थन मिलने से एथलीट अपने खेल में और भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और आर्थिक परेशानियों से जूझने के बजाय अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
पिछले मामलों की याद
इंद्रा की स्थिति कुछ हद तक गीता कुमारी की तरह है, जो 2020 में एक समान संकट से गुजर रही थीं। गीता कुमारी को अपने परिवार का गुजारा करने के लिए सब्जी बेचने का काम करना पड़ा था। उस वक्त झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गीता को 50 हजार रुपये की एकमुश्त मदद दी थी। साथ ही प्रतिमाह 3 हजार रुपये देने का वादा भी किया था।