बॉन जलवायु सम्मेलन : जलवायु संकट, फाइनेंस और फॉसिल फ्यूल पर केंद्रित रहेगा दुनिया का ध्यान
- Post By Admin on Jun 16 2025
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नई दिल्ली : जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की मध्य वर्षीय बैठक बॉन क्लाइमेट कॉन्फ्रेंस आज से जर्मनी के बॉन में शुरू हो गई है। यह सम्मेलन 26 जून तक चलेगा और इसमें वैश्विक जलवायु नीतियों की दिशा तय करने के कई अहम मुद्दों पर मंथन होगा। दुनिया भर की निगाहें इस बैठक पर टिकी हैं, खासकर ऐसे समय में जब मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि 2029 से पहले वैश्विक तापमान 1.5°C की सीमा लांघने की 87% संभावना है।
इस वर्ष की चर्चा के केंद्र में फॉसिल फ्यूल से बाहर निकलने की रणनीति, विकासशील देशों के लिए जलवायु फाइनेंस की व्यवस्था और न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण (Just Transition) जैसे अहम विषय रहेंगे।
ब्राजील ने पेश की COP30 की प्राथमिकताएं: "FFF" – फॉरेस्ट, फाइनेंस, फॉसिल
ब्राजील, जो अगले वर्ष COP30 की मेजबानी करेगा, पहले ही अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट कर चुका है – जंगलों का संरक्षण (Forests), वित्तीय सहयोग (Finance) और फॉसिल फ्यूल से बाहर निकलना (Fossils)। ब्राजील के राष्ट्रपति के जलवायु सलाहकार आंद्रे कोरेया डो लागो ने इस दिशा में बॉन सम्मेलन से ठोस प्रगति की उम्मीद जताई है।
इरादों से आगे बढ़कर चाहिए ठोस कार्यवाई
ब्राजील ने एक "Action Agenda" का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस एजेंडे को साझा वैश्विक दिशा नहीं मिली, तो नागरिक समाज और निजी क्षेत्र की तैयारियों के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकलेगा।
NDCs की सुस्ती: EU, चीन और भारत पर टिकी उम्मीदें
इस साल जिन देशों को अपनी नई जलवायु योजनाएं (NDCs) प्रस्तुत करनी हैं, उनमें से अब तक केवल 22 देशों ने ऐसा किया है। इनमें भी सिर्फ यूके की योजना पेरिस समझौते के 1.5°C लक्ष्य के अनुकूल मानी गई है। भारत ने भले ही 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-फॉसिल ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, लेकिन 2035 के लिए उसका नया रोडमैप अब भी प्रतीक्षित है।
जलवायु नीति विशेषज्ञ कैथरीन अब्रू का कहना है, “भारत, चीन और यूरोपीय संघ के फैसले आने वाले दशक की जलवायु दिशा तय करेंगे। भारत में फाइनेंस सबसे बड़ी चुनौती है।”
फाइनेंस पर फोकस: वादे नहीं, स्पष्ट रोडमैप की दरकार
पिछले COP29 सम्मेलन में जलवायु वित्त को $300 अरब प्रतिवर्ष तक बढ़ाने की बात हुई थी, लेकिन अब असली सवाल यह है कि यह धन कहां से आएगा और कैसे वितरित होगा। बॉन में इस बार "बाकू से बेलेम" रोडमैप पर चर्चा की जाएगी। ACT Alliance के जूलियस मबाटिया ने कहा, “विकासशील देश उस संकट का समाधान ढूंढ रहे हैं, जिसे उन्होंने पैदा नहीं किया। अब अमीर देशों को आगे आना होगा – कर्ज़ नहीं, अनुदान के रूप में।”
अनुकूलन संकेतकों की छंटनी और GGA पर ध्यान
बॉन सम्मेलन में इस बार जलवायु अनुकूलन (Adaptation) पर भी विशेष ध्यान रहेगा। Global Goal on Adaptation के अंतर्गत अब 490 संकेतकों को घटाकर 100 करने की कोशिश की जा रही है ताकि असली काम पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
अफ्रीकी देशों की गैरमौजूदगी ने उठाए सवाल
कई अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधि बॉन सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाए हैं क्योंकि उनके पास यात्रा के लिए फंड की कमी है। यह स्थिति जलवायु वित्त की असल हकीकत और ज़मीनी समस्याओं को उजागर करती है। LDC (कम विकसित देश) ग्रुप 13 जून को इस मुद्दे पर औपचारिक बयान जारी करेगा।
भारत की भूमिका: रणनीतिक रूप से जटिल, पर वैश्विक रूप से अहम
भारत की स्थिति इस सम्मेलन में जटिल लेकिन महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एक ओर ऊर्जा ज़रूरतें हैं, दूसरी ओर वैश्विक नेतृत्व की अपेक्षाएं। भारत ने अपने NDC में जहां महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं, वहीं उसने जलवायु फाइनेंस टैक्सोनॉमी का मसौदा भी प्रस्तुत किया है। G20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने ट्रिपल रिन्यूएबल एनर्जी की पहल को भी आगे बढ़ाया था। अब बॉन में उससे 2035 तक के लक्ष्य स्पष्ट करने की अपेक्षा की जा रही है।
गलत सूचना के खिलाफ वैश्विक पहल
21 जून को ब्राजील जलवायु संबंधित फेक न्यूज और भ्रामक जानकारी के खिलाफ एक वैश्विक पहल “Global Information Integrity Initiative” की मेजबानी करेगा, जिसमें UNESCO और UN भी शामिल हैं।
COP31 की मेज़बानी को लेकर खींचतान
आगामी COP31 सम्मेलन की मेजबानी को लेकर ऑस्ट्रेलिया और तुर्किए के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। जहां ऑस्ट्रेलिया दक्षिण प्रशांत देशों के साथ अपनी साख मजबूत करना चाहता है, वहीं तुर्किए खुद को ग्लोबल साउथ की आवाज़ बनाकर इस दौड़ में शामिल है।
नतीजों पर टिकी निगाहें
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या बॉन सम्मेलन केवल चर्चाओं तक सीमित रहेगा या फिर जलवायु संकट से निपटने के लिए कुछ ठोस निर्णय भी लिए जाएंगे। जलवायु संकट की तीव्रता को देखते हुए दुनिया अब वादों से आगे बढ़कर तत्काल कार्यवाई की अपेक्षा कर रही है।
@Climateकहानी