वैभवशाली भारत निर्माण के लिए नेताजी का जीवन आदर्श उदाहरण : डॉ. मोहन भागवत

  • Post By Admin on Jan 23 2023
वैभवशाली भारत निर्माण के लिए नेताजी का जीवन आदर्श उदाहरण : डॉ. मोहन भागवत

कोलकाता : भारत के अमर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के तत्वावधान में "नेताजी लौह प्रणाम" कार्यक्रम का आयोजन शहीद मीनार मैदान में किया गया। इस मैदान में कोलकाता और हावड़ा महानगर के करीब 15 हजार स्वयंसेवकों की उपस्थिति में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन वैभवशाली भारत निर्माण के लिए कष्ट सहने, तपस्या करने और पूर्ण समर्पण का आदर्श उदाहरण है।

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि संघ की ओर से हर साल छोटे-बड़े स्तर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कभी शाखा में तो कभी लोगों के बीच। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि नेता ऐसा हो जो पूरी तरह से समर्पित, स्वार्थ रहित और राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ आगे बढ़े और नेताजी सुभाष चंद्र बोस उसके मूर्त उदाहरण थे। आजाद हिंद फौज का गठन हुआ और सैनिकों को पैदल चलना पड़ता था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी उनके साथ पैदल चलते थे। जो खाना सैनिक खाते थे वही नेताजी खाते थे और सबके बीच रहते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध घोष किया जिनके राज में सूरज अस्त नहीं होता था। उस समय उन्होंने भारत के दरवाजे पर दस्तक दी। अगर समय चक्र सही चलता तो नेताजी भारत के बहुत अंदर तक पहुंच सकते थे और देश काफी पहले स्वतंत्र हो जाता।

सिखों के गुरु गोविंद सिंह का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जिस तरह से गुरु गोविंद सिंह ने अपने पूरे जीवन को समाज के लिए बलिदान किया, उनके चारों पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया गया बावजूद इसके उन्होंने अपने लोगों के लिए लड़ना बंद नहीं किया। उन्हें उपेक्षा भी सहनी पड़ी। ठीक उसी तरह से समर्पित युवा चाहिए जो वैभवशाली राष्ट्र का निर्माण कर सकें और नेताजी सुभाष चंद्र बोस उसके जीवंत उदाहरण थे। भागवत ने कहा कि नेताजी का विरोध करने वाले लोग भी कम नहीं थे।

स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर की यात्रा का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि अंग्रेजों के शासन को खत्म कर हम स्वाधीन तो हो गए हैं लेकिन अपने ऐतिहासिकता और अपने मूल्यों को लेकर हम स्वतंत्रता की ओर भी आगे बढ़ें यही नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सपना था। उन्होंने कहा कि जब हम वैभवशाली भारत बनाने की बात करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि धन-धान्य से संपन्न देश हों। अमेरिका और चीन भी खुद को वैभवशाली कहते हैं लेकिन हमें ऐसे वैभवशाली भारत का निर्माण करना है जो संपूर्ण दुनिया में सुख और शांति ला सके। भारत पूरी दुनिया को धर्म देता है। मानव की उन्नति के साथ-साथ हम पूरे ब्रह्मांड की उन्नति की संस्कृति वाले लोग हैं। इसलिए हमें ऐसे वैभवशाली भारत का निर्माण करना है जिसकी ओर दुनिया उम्मीद से देखे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और संघ के संस्थापक डॉ. केशव राम बलिराम हेडगेवार की मुलाकात का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि 1928 में कांग्रेस के अधिवेशन (कलकत्ता) में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ डॉक्टर जी भी शामिल हुए थे और दोनों के बीच भारत के भविष्य पर चर्चा हुई थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि भारत पृथ्वी का छोटा रूप है। जिस तरह की समस्याएं पूरी दुनिया में हैं उस तरह की समस्याएं अकेले भारत में हैं। अतः भारत की समस्याओं का निदान ही पूरे विश्व की समस्याओं का निदान है। नेताजी बार-बार कहते थे कि राष्ट्र को छोड़कर व्यक्तित्व के विकास का कोई अस्तित्व नहीं है।

संघ और अनुषांगिक संगठनों से मतभेद रखने वालों को भी महत्वपूर्ण संदेश देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि जब देश में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी जा रही थी तब कई विचारधारा के लोग थे। सबके रास्ते अलग-अलग थे लेकिन गंतव्य एक था। देश की स्वाधीनता। हमने इसे हासिल तो किया लेकिन जिस वैभवशाली भारत के निर्माण का सपना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देखा उसी को लेकर संघ आगे बढ़ रहा है। नेताजी चाहते थे कि व्यक्ति निर्माण कर समाज को सशक्त बनाया जाए और संघ वही कर रहा है। संघ मनुष्य निर्माण करता है।

हमें कोई चुनाव नहीं जीतनाः एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कोई स्वार्थ नहीं है। हमें कोई चुनाव नहीं जीतना है। हमारा एक ही मकसद है- तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की जरूरत जब पड़ी तब हंसते-हंसते अपना बलिदान दे दिया। आज हम स्वाधीन हैं। हमें बलिदान नहीं होना है लेकिन पल-पल हर क्षण देश के लिए जीना पड़ेगा। हमें स्वाधीनता मिल गई लेकिन ऐतिहासिक चिंतन के अनुसार स्वतंत्र भारत का नया रूप गढ़ना है। इसीलिए प्रतिवर्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें स्मरण करते हैं और उन्हीं के सपनों के भारत के निर्माण के लिए व्यक्ति निर्माण का काम कर रहे हैं।

संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा कि भारत जिनके त्याग और तपस्या पर खड़ा है उन्हें कृतज्ञता पूर्वक याद करना हम सब का कर्तव्य है। नेताजी ने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। उनका हर कार्य पूर्ण समर्पण के साथ देश को समर्पित था और इसी तरह के मानव निर्माण के जरिए वैभवशाली भारत गढ़ने के लक्ष्य के साथ हमें काम करना होगा।