केरल कोर्ट ने प्रेमी की हत्या करने वाली ग्रीष्मा को सुनाई मौत की सजा

  • Post By Admin on Jan 21 2025
केरल कोर्ट ने प्रेमी की हत्या करने वाली ग्रीष्मा को सुनाई मौत की सजा

तिरुवनंतपुरम : केरल के नेय्याट्टिनकरा अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने सोमवार को ग्रीष्मा नामक महिला को अपने प्रेमी शेरन राज की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई है। अदालत ने इस दौरान प्रेम संबंधों और लिव-इन रिलेशन पर गंभीर टिप्पणियां कीं और कहा कि "प्रेमी पर भरोसा नहीं किया जा सकता"। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के अपराधों से समाज में गलत संदेश जाता है और युवाओं के बीच प्रेम संबंधों के प्रति संदेह पैदा होता है।

प्रेमी की हत्या की साजिश 

ग्रीष्मा ने अपने प्रेमी शेरन राज को धीमे जहर के जरिए मार डाला था। शेरन को मारने के लिए ग्रीष्मा ने कीटनाशक मिलाकर उसे कशयम पीने के लिए दिया, जिससे शेरन की हालत बिगड़ गई और उसे 11 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इस दौरान शेरन ने दर्द में रहते हुए अपने पिता को बताया था कि ग्रीष्मा ने उसे यह मिलावटी पेय दिया था। उसके अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर गए और अंत में 11वें दिन उसकी मौत हो गई।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां 

कोर्ट ने ग्रीष्मा की क्रूरता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसने शेरन को "तिल तिल कर मारा" और यह अपराध समाज में यह संदेश देता है कि एक लड़की रिश्ते को खत्म करने के बाद आसानी से अपने प्रेमी की हत्या कर सकती है। अदालत ने कहा कि इस तरह के अपराधों से प्रेमियों और दोस्तों के बीच विश्वास में कमी आती है और युवाओं के बीच लिव-इन रिलेशन को लेकर गलत विचारधाराएं पैदा हो सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इसे हल्के में लिया गया, तो यह "इस्तेमाल करो और फेंकने जैसा" हो सकता है। जिससे समाज में गलत संदेश जाएगा।

ग्रीष्मा ने पहले भी की थी कोशिशें 

इससे पहले ग्रीष्मा ने शेरन को जूस में जहर मिलाकर उसे उल्टी करने की कोशिश की थी, लेकिन उस प्रयास में वह सफल नहीं हो पाई। अदालत ने कहा कि ग्रीष्मा ने इंटरनेट पर पैरासीटामॉल के ओवरडोज के बारे में पढ़ा था और उसने वही तरीका अपनाया, जिससे यह साबित होता है कि उसका इरादा जानबूझकर शेरन को मारने का था।

तीसरी आरोपी को भी सजा

इस मामले में ग्रीष्मा के रिश्तेदार निर्मलकुमारन नायर को भी तीन साल की सजा सुनाई गई है। वह इस अपराध में ग्रीष्मा की मदद कर रहा था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी की उम्र पर विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है और यह फैसला समाज में एक कड़ा संदेश देने के लिए लिया गया है।