भारत ने बनाई अपनी पहली देसी एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन
- Post By Admin on Dec 09 2024

नई दिल्ली : भारत ने अपनी पहली देसी एंटीबायोटिक 'नैफिथ्रोमाइसिन' बना ली है जो दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने के लिए विकसित की गई है। इस दवा पर 14 साल की रिसर्च की गई और 500 करोड़ रुपये का खर्च किया गया है। अब यह दवा बाजार में आने को तैयार है।
नैफिथ्रोमाइसिन का क्लिनिकल ट्रायल भारत, अमेरिका और यूरोप में सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस दवा को एजिथ्रोमाइसिन से 10 गुना अधिक प्रभावी पाया गया है और इसका क्लिनिकल क्योर रेट 96.7 प्रतिशत है, साथ ही इसके साइड इफेक्ट्स भी न्यूनतम हैं। यह दवा भोजन के साथ या बिना किसी भी स्थिति में ली जा सकती है जिससे यह अधिक उपयोगी बनती है।
नैफिथ्रोमाइसिन एक अर्ध-सिंथेटिक मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक है जिसे खासतौर पर वयस्कों में कम्युनिटी-अक्वायर्ड बैक्टीरियल निमोनिया के इलाज के लिए तैयार किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि इसे केवल तीन दिनों तक दिन में एक बार लिया जाता है और यह फेफड़ों में लंबे समय तक प्रभावी रहता है।
यह मेड-इन-इंडिया दवा मुंबई स्थित एक फार्मास्युटिकल कंपनी द्वारा बनाई गई है और इसके किफायती होने की उम्मीद है। जिससे यह आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नैफिथ्रोमाइसिन दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के इलाज में क्रांति ला सकती है।