12वीं की छात्रा ने फतह की सबसे ऊंची चोटी, रच दिया इतिहास

  • Post By Admin on Dec 30 2024
12वीं की छात्रा ने फतह की सबसे ऊंची चोटी, रच दिया इतिहास

नई दिल्ली : कक्षा 12 की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम की है। 17 वर्षीय काम्या ने सात महाद्वीपों की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतह कर दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला होने का रिकॉर्ड बनाया है। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने दुनिया भर में भारतीय महिलाओं को प्रेरणा दी है।

काम्या ने अफ्रीका के माउंट किलिमंजारो, यूरोप के माउंट एल्ब्रस, ऑस्ट्रेलिया के माउंट कोसियस्ज़को, दक्षिण अमेरिका के माउंट अकोंकागुआ, उत्तरी अमेरिका के माउंट डेनाली, एशिया के माउंट एवरेस्ट और अंत में अंटार्कटिका के माउंट विंसन तक चढ़ाई की है। इस शानदार यात्रा का समापन उन्होंने 24 दिसंबर को अंटार्कटिका में माउंट विंसन की चोटी पर पहुंचकर किया।

काम्या ने अपनी इस यात्रा की शुरुआत बहुत कम उम्र में की थी। जब वह सिर्फ सात साल की थीं और उत्तराखंड में पहली बार ट्रैकिंग पर निकली थीं। इसके बाद उन्होंने एक-एक करके इन प्रमुख चोटियों पर चढ़ाई की और अपनी मानसिक और शारीरिक ताकत को साबित किया।

भारतीय नौसेना ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर काम्या और उनके पिता कमांडर एस कार्तिकेयन को बधाई दी है। जिन्होंने इस यात्रा में उनका साथ दिया। नौसेना ने अपने आधिकारिक हैंडल पर इस उपलब्धि को साझा करते हुए लिखा, “मुंबई की कक्षा 12वीं की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने सात महाद्वीपों की सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बनकर इतिहास रच दिया है।”

काम्या कार्तिकेयन के इस सफर को उनके स्कूल, नेवी चिल्ड्रन स्कूल, मुंबई ने भी सराहा है। स्कूल ने अपनी सोशल मीडिया पर लिखा, “बाधाओं को तोड़ते हुए नई ऊंचाइयों को छूना! नेवी चिल्ड्रन स्कूल, मुंबई की कक्षा 12वीं की छात्रा काम्या कार्तिकेयन, सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की छात्रा बन गई है! यह हमारे लिए गर्व की बात है!”

काम्या के इस उपलब्धि में शामिल प्रमुख चोटियां :

    •    माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका)
    •    माउंट एल्ब्रुस (यूरोप)
    •    माउंट कोसियस्ज़को (ऑस्ट्रेलिया)
    •    माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका)
    •    माउंट डेनाली (उत्तर अमेरिका)
    •    माउंट एवरेस्ट (एशिया)
    •    माउंट विंसन (अंटार्कटिका)

काम्या ने अपनी इस यात्रा को चुनौतीपूर्ण माना और कहा कि यह उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। उनके इस कारनामे से यह साबित हो गया है कि उम्र किसी भी चुनौती को पार करने में बाधा नहीं बन सकती।