नए लेबर नियमों से गिग वर्कर्स सशक्त, महिलाओं के अधिकार हुए और मजबूत

  • Post By Admin on Nov 22 2025
नए लेबर नियमों से गिग वर्कर्स सशक्त, महिलाओं के अधिकार हुए और मजबूत

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शनिवार को बताया कि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 भारत के लेबर वेलफेयर फ्रेमवर्क में अब तक का सबसे बड़ा सुधार लेकर आई है। इसका उद्देश्य देश की पूरी कार्यबल—विशेष रूप से गिग वर्कर्स और महिलाओं—को एक मजबूत, समग्र और समावेशी सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है। नई संहिता नौ मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एकीकृत करते हुए एक सिंगल और सरल फ्रेमवर्क तैयार करती है।

गिग वर्कर्स को मिली आधिकारिक पहचान
नए प्रावधानों के तहत पहली बार गिग और प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारियों को औपचारिक रूप से मान्यता दी जा रही है। उनके कल्याण के लिए एक विशेष सामाजिक सुरक्षा कोष बनाया जाएगा। साथ ही, असंगठित, गिग और प्लेटफ़ॉर्म क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए योजनाएं तैयार करने और उनकी निगरानी हेतु राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की स्थापना की जाएगी, जो सरकार को नीति-संबंधी सुझाव देगा।

इन सभी श्रमिकों को राष्ट्रीय पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा, जिसके बाद उन्हें आधार-सत्यापित एक विशिष्ट पहचान संख्या (UID) जारी की जाएगी, जो पूरे देश में मान्य होगी।

महिला कर्मचारियों के लिए बड़े बदलाव
नई संहिता में महिला कर्मचारियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई अहम प्रावधान जोड़े गए हैं।

  • प्रसव से पहले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम कर चुकी महिला कर्मचारी को औसत दैनिक वेतन के बराबर मैटरनिटी बेनेफिट मिलेगा।

  • अधिकतम 26 सप्ताह की मातृत्व अवकाश अवधि में से 2 महीने प्रसव से पहले लिए जा सकते हैं।

  • गोद लेने वाली माताओं और सरोगेसी से बच्चे पाने वाली बायोलॉजिकल मदर्स को भी 3 महीनों की मैटरनिटी लीव का लाभ मिलेगा।

गर्भावस्था, प्रसव या संबंधित स्वास्थ्य स्थितियों के प्रमाण को सरल बनाया गया है। अब मेडिकल सर्टिफिकेट पंजीकृत डॉक्टरों के साथ-साथ आशा कार्यकर्ताओं, प्रशिक्षित सहायकों या दाइयों द्वारा भी जारी किया जा सकेगा।

महिलाओं की कार्यस्थिति को बेहतर बनाने पर जोर

  • सेक्शन 64 के अंतर्गत, यदि कंपनी प्रसव से पहले और बाद में फ्री केयर उपलब्ध नहीं करवाती, तो महिला कर्मचारी को 3,500 रुपये का मेडिकल बोनस मिलेगा।

  • प्रसव के बाद वापस काम पर आई महिला को बच्चे के 15 महीने के होने तक प्रतिदिन दो नर्सिंग ब्रेक मिलेंगे।

  • काम घर से किया जा सकने की स्थिति में, नियोक्ता और कर्मचारी की सहमति से वर्क फ्रॉम होम की सुविधा भी दी जा सकेगी।

क्रेच सुविधा को लेकर भी नियम स्पष्ट हैं।

  • 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली संस्थाओं को निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच सुविधा उपलब्ध करानी होगी।

  • महिला कर्मचारी को क्रेच में प्रतिदिन चार बार जाने की अनुमति देनी होगी।

  • क्रेच सुविधा न होने पर प्रति बच्चे प्रति माह कम से कम 500 रुपये का क्रेच भत्ता दिया जाएगा, अधिकतम दो बच्चों तक।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के ये प्रावधान देश की बदलती कार्य संस्कृति में गिग वर्कर्स और महिलाओं को अधिक सुरक्षित, समर्थ और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखे जा रहे हैं।