केंद्र ने किया स्पष्ट, यूपीआई पेमेंट पर लेनदेन शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं
- Post By Admin on Aug 18 2025

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को स्पष्ट किया कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) आधारित डिजिटल लेनदेन पर कोई लेनदेन शुल्क लागू करने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में नहीं है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से दी।
यूपीआई ट्रांजैक्शन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा सुगम बनाए जाते हैं। 30 अगस्त 2019 के सर्कुलर के अनुसार, अधिग्रहण करने वाले बैंकों को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के रूप में ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.30 प्रतिशत वसूलने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 की धारा 10A के अंतर्गत यह प्रावधान है कि कोई भी बैंक या सिस्टम प्रदाता आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269एसयू के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भुगतान करने वाले भुगतानकर्ता या लाभार्थी से कोई शुल्क नहीं ले सकता।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने भी आयकर अधिनियम की धारा 269एसयू के तहत यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के वैध माध्यम के रूप में अधिसूचित किया है। इसके साथ ही सरकार ने इकोसिस्टम पार्टनर्स द्वारा यूपीआई सेवा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक प्रोत्साहन योजना लागू की, जिसके तहत लगभग 8,730 करोड़ रुपए का समर्थन प्रदान किया गया।
यूपीआई का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 में यूपीआई लेनदेन 92 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 114 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर (CAGR) के साथ बढ़कर 18,587 करोड़ हो गया। इसी दौरान लेनदेन वैल्यू 1.10 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपए हो गई। जुलाई 2025 में यूपीआई ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया, जब एक ही महीने में 1,946.79 करोड़ से अधिक लेनदेन दर्ज किए गए।
देश में डिजिटल भुगतान की कुल मात्रा भी तेजी से बढ़ी है। वित्त वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन की संख्या 2,071 करोड़ थी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 22,831 करोड़ हो गई, यानी 41 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ वृद्धि। इसी अवधि में लेनदेन वैल्यू भी 1,962 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपए हो गई। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि डिजिटल भुगतान अब भारत में आर्थिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है और सरकार की नीतियां इसके विस्तार और स्थायित्व में सहायक सिद्ध हो रही हैं।