अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा एक ही दिन : भक्ति व निर्माण का संगम
- Post By Admin on Sep 17 2024

बिहार : आज 17 सितंबर को देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी । ऐसा माना जाता है कि जब भगवान भास्कर कन्या राशि में प्रवेश करते है, उसी पुण्यकाल अवधि में ब्रह्मांड के अभियंता विश्वकर्मा जी का प्रादुर्भाव हुआ। ऐसी मान्यता है कि जितने भी ज्योतिर्लिंग, शिवालय एवं शक्ति पीठ है उन सबका निर्माण विश्वकर्मा जी के द्वारा किया गया हैं।
विश्वकर्मा पूजा के दिन कल-कारखानों समेत सार्वजनिक स्थानों पर उनकी प्रतिमा सजाई जाती है एवं उनकी पूजा बहुत ही धूमधाम के साथ की जाती हैं । आज के दिन वाहन, मशीनों, कारखाने, औजार, दुकान व फैक्ट्री आदि की साफ-सफाई एवं पूजा की जाती है I
इधर, अनंत चतुर्दशी पूजन-व्रत 17 सितंबर को ही हैं। इसे लेकर मंदिरों समेत विभिन्न जगहों पर सामूहिक रूप से कथा सुनी जाएगी। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप मे मनाया जाता है। साथ ही आज शतभिषा नक्षत्र है जो की काफी अच्छा माना जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों ही जागृत अवस्था को प्राप्त कर आमने-सामने होते हैं। जिसे पारस परिवर्तन या पृष्ठ परिवर्तन कहते हैं।
अनंत भगवान, भगवान विष्णु के ही स्वरुप हैं। वे चौदहो भूअन के स्वामी हैं I जिस वजह से अनंत में 14 गांठ होते हैं और अनंत व्रत भी 14 वर्ष तक करने का विधान हैं। पं. जय किशोर मिश्र बताते है कि संयोग से इसवर्ष अनंत चतुर्दशी एवं व्रत का पूर्णिमा एक ही दिन हैं I साथ ही गणेश नवरात्र का समापन भी मध्याह्न तक है। इस वजह से संपूर्ण दिन-रात अमृत की प्रवाह है, जिसे लोग अमृतयोग के नाम से भी जानते है। आज के दिन चंद्रमा कुंभ राशि मे है।
आज के दिन ही चतुर्मास का सर्वाधिक पूर्णदायक योग माना जाता है, भाद्र मास एवं सम्पूर्ण जगत का स्वामित्व गणेश जी के अधीन होता है।