शेख हसीना को छह माह की सजा, अवामी लीग ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध

  • Post By Admin on Jul 03 2025
शेख हसीना को छह माह की सजा, अवामी लीग ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध

ढाका : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने के कारावास की सजा सुनाई है। ट्राइब्यूनल ने यह फैसला एक वायरल ऑडियो क्लिप के आधार पर सुनाया, जिसमें शेख हसीना को कथित तौर पर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते और ट्राइब्यूनल को धमकाते हुए सुना गया था।

बुधवार को यह सजा ट्राइब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गोलाम मुर्तुजा माजुमदार की अध्यक्षता में सुनाई गई। इसी मामले में अवामी लीग की छात्र इकाई ‘छात्र लीग’ के नेता शकील अकांडा बुलबुल को भी दो महीने की सजा दी गई है। बता दें कि ट्राइब्यूनल ने जून में दोनों को शो-कॉज नोटिस जारी किया था।

शेख हसीना, जो अगस्त 2024 में देश छोड़ चुकी हैं, सजा के ऐलान के वक्त बांग्लादेश में मौजूद नहीं थीं। अवामी लीग ने फैसले की तीखी आलोचना करते हुए इसे "शो ट्रायल" करार दिया और कहा कि यह सत्तारूढ़ अंतरिम सरकार द्वारा चलाया जा रहा राजनीतिक प्रतिशोध है। पार्टी ने संयुक्त राष्ट्र की ओर से ट्राइब्यूनल की निष्पक्षता को लेकर जताई गई चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि यह कार्रवाई केवल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए की गई है।

अवामी लीग का आरोप है कि मौजूदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पूर्व प्रधानमंत्री को पहले से ही दोषी ठहराती आ रही है, जिससे निष्पक्ष न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि आम नागरिकों, पत्रकारों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हुए उत्पीड़न के मामलों को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह ट्राइब्यूनल स्वयं शेख हसीना की सरकार द्वारा 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों की जांच के लिए स्थापित किया गया था। अब इसी ट्राइब्यूनल से सजा पाकर शेख हसीना एक नई राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गई हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यह सजा बांग्लादेश में लोकतंत्र, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विपक्ष के प्रति सत्ता के रवैये पर गहरे सवाल खड़े कर रही है।

शेख हसीना, बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं और दशकों से लोकतांत्रिक आंदोलन की एक केंद्रीय चेहरा रही हैं।