पाकिस्तान बना रहा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, अमेरिका तक पहुंचने में सक्षम
- Post By Admin on Jun 26 2025
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इस्लामाबाद/वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु संतुलन के लिए खतरे की नई घंटी बज चुकी है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान गुप्त रूप से ऐसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित कर रहा है, जो अमेरिका तक पहुंचने में सक्षम होगी। इस खुलासे के बाद वाशिंगटन में सुरक्षा हलकों में खलबली मच गई है।
सूत्रों के मुताबिक, अगर पाकिस्तान इस तकनीक में सफलता हासिल करता है, तो अमेरिका उसे 'परमाणु विरोधी देश' घोषित करने पर विचार कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान की यह गतिविधि न सिर्फ वैश्विक परमाणु संतुलन के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी कमजोर कर सकती है।
अमेरिका की कड़ी निगरानी में पाकिस्तान की परमाणु नीति
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक ऐसी मिसाइल प्रणाली पर काम कर रहा है, जिसकी रेंज अमेरिका महाद्वीप तक हो सकती है। इस मिसाइल का मुख्य उद्देश्य किसी संभावित एहतियाती हमले की स्थिति में अपने परमाणु हथियारों को सुरक्षित रखना और भारत के खिलाफ संभावित युद्ध में अमेरिका को हस्तक्षेप से रोकना हो सकता है।
अमेरिका पहले ही पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर आशंकित रहा है। हाल ही में अमेरिका के खुफिया विश्लेषकों ने चीन और रूस के साथ पाकिस्तान के परमाणु गठजोड़ पर भी चिंता जताई है।
एफएटीएफ ने भी जताई थी आशंका
इससे पहले, वैश्विक आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने भी पाकिस्तान की मिसाइल विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की थी। संस्था ने वर्ष 2020 में भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए एक संदिग्ध शिपमेंट का हवाला देते हुए कहा था कि उसमें मौजूद सामग्रियों का उपयोग बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण में किया जा सकता है।
एफएटीएफ ने इस गतिविधि को अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन और वैश्विक सुरक्षा के लिए संभावित खतरा बताया था।
अब तक शाहीन-3 ही थी पाकिस्तान की सबसे ताकतवर मिसाइल
गौरतलब है कि पाकिस्तान के पास वर्तमान में कोई आधिकारिक अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल नहीं है। अभी तक उसकी सबसे लंबी दूरी की मिसाइल शाहीन-3 है, जिसकी रेंज लगभग 2,700 किलोमीटर है और जिसे 2022 में परीक्षण किया गया था। लेकिन ICBM की श्रेणी में आने के लिए न्यूनतम 5,500 किलोमीटर की मारक क्षमता आवश्यक होती है।
भारत की कूटनीतिक नजरें भी टिकीं
इस घटनाक्रम पर भारत की कूटनीतिक और सुरक्षा एजेंसियां भी नजर बनाए हुए हैं। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर भारत पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चिंता जाहिर करता रहा है। यदि पाकिस्तान वाकई ICBM हासिल करने में सफल होता है, तो यह दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ को और तेज कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस खुलासे के बाद अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकती हैं ताकि उसकी परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाई जा सके।