80 साल बाद जापान ने किया मिसाइल परीक्षण, चीन-रूस की बढ़ती गतिविधियों के बीच दिखाई सैन्य ताकत

  • Post By Admin on Jun 26 2025
80 साल बाद जापान ने किया मिसाइल परीक्षण, चीन-रूस की बढ़ती गतिविधियों के बीच दिखाई सैन्य ताकत

टोक्यो : जापान ने 80 वर्षों में पहली बार अपने घरेलू क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण कर भू-राजनीतिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी का शक्तिशाली संदेश दिया है। यह परीक्षण 24 जून को उत्तरी द्वीप होक्काइडो के शिजुनाई एंटी-एयर फायरिंग रेंज में किया गया, जिसमें टाइप-88 सतह से जहाज पर मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ।

इस परीक्षण को जापान की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने और चीन-रूस की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियों के जवाब में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स की पहली आर्टिलरी ब्रिगेड ने इस दौरान बिना चालक दल वाली नाव को करीब 40 किलोमीटर दूर से निशाना बनाया।

शांतिवादी नीति से हमलावर क्षमता की ओर कदम

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान ने अपने शांतिवादी संविधान के तहत केवल आत्मरक्षा के लिए बल प्रयोग की नीति अपनाई थी। लेकिन 2022 में देश ने अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए पांच वर्षीय सुरक्षा रणनीति अपनाई, जिसमें चीन को सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया गया। अब जापान न केवल अमेरिकी टॉमहॉक जैसी लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें खरीद रहा है, बल्कि टाइप-12 मिसाइलों का भी विकास कर रहा है, जिनकी मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर तक है।

स्थानीय विरोध भी सतह पर आया

हालांकि, इस सैन्य गतिविधि के खिलाफ देश के भीतर से भी आवाजें उठीं। मिसाइल परीक्षण के दिन दर्जनों प्रदर्शनकारियों ने एक पड़ोसी सैन्य शिविर के बाहर एकत्र होकर इसका विरोध किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस तरह के कदम एशिया में तनाव बढ़ा सकते हैं और जापान को अनावश्यक संघर्षों में खींच सकते हैं।

चीन-रूस की संयुक्त गतिविधियों से बढ़ी चिंता

जापानी तटों के आस-पास चीन और रूस द्वारा लगातार हो रहे संयुक्त सैन्य अभ्यासों ने टोक्यो की चिंता बढ़ा दी है। खासकर रूस के साथ होक्काइडो क्षेत्र को लेकर जारी क्षेत्रीय विवाद और चीन की आक्रामक नौसैनिक रणनीतियों के मद्देनजर जापान अब पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में भी मिसाइल परीक्षण की योजना बना रहा है। मिनामितोरिशिमा द्वीप पर मिसाइल फायरिंग रेंज विकसित करने की तैयारी चल रही है, जहां हाल ही में दो चीनी विमानवाहक पोतों की मौजूदगी देखी गई थी।

जापान का यह परीक्षण न केवल एशिया में सुरक्षा संतुलन को प्रभावित करने वाला है, बल्कि यह संकेत भी है कि शांतिवादी संविधान के बावजूद अब वह खतरे की स्थिति में आक्रामक रणनीति अपनाने के लिए तैयार है।