अमेरिका में एक और हिंदू मंदिर पर हमला, इस्कॉन राधा-कृष्ण मंदिर पर अंधाधुंध फायरिंग

  • Post By Admin on Jul 03 2025
अमेरिका में एक और हिंदू मंदिर पर हमला, इस्कॉन राधा-कृष्ण मंदिर पर अंधाधुंध फायरिंग

वाशिंगटन/यूटा : अमेरिका में हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। ताज़ा मामला यूटा राज्य के स्पेनिश फोर्क का है, जहां विश्वविख्यात इस्कॉन श्री श्री राधा-कृष्ण मंदिर को निशाना बनाकर 20 से 30 राउंड फायरिंग की गई। इस हमले ने वहां के हिंदू समुदाय को गहरे सदमे और चिंता में डाल दिया है।

यह मंदिर हर साल आयोजित होने वाले हॉली फेस्टिवल के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। घटना के समय मंदिर परिसर में श्रद्धालु और मेहमान मौजूद थे, हालांकि किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है। हमले में मंदिर की संरचना, विशेष रूप से हाथ से नक्काशी किए गए मेहराबों को काफी नुकसान पहुंचा है। अनुमान है कि हजारों डॉलर की संपत्ति को नुकसान हुआ है।

भारत सरकार की तीखी प्रतिक्रिया

सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने इस घटना की तीव्र निंदा की है और अमेरिकी प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा गया, “हम यूटा में इस्कॉन मंदिर पर गोलीबारी की घटना से स्तब्ध हैं। हम सभी श्रद्धालुओं के साथ खड़े हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।”

बढ़ती घटनाओं से समुदाय डरा-सहमा

इस हमले ने 2025 में कैलिफोर्निया के चिनो हिल्स स्थित स्वामीनारायण मंदिर पर हमले की यादें ताजा कर दी हैं। कोएलिशन ऑफ हिंदूज़ ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) ने इस घटना को "हिंदू-विरोधी घृणा अपराधों की कड़ी" करार दिया है और इसे खालिस्तानी जनमत संग्रह से जोड़ते हुए सुनियोजित साजिश बताया है।

CoHNA के अनुसार, 2022 से अब तक अमेरिका में दर्जनों हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया है— जिनमें सैक्रामेंटो, लॉस एंजेल्स, न्यूयॉर्क और शिकागो जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं। हमलों में "Hindus Go Back" जैसे भड़काऊ संदेश भी लिखे गए, जिससे अमेरिकी हिंदू समाज में डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।

FBI और स्थानीय पुलिस पर दबाव

घटना की जांच में स्थानीय पुलिस जुट गई है, लेकिन समुदाय और भारतीय दूतावास की ओर से FBI जैसी उच्चस्तरीय एजेंसियों से भी जांच की मांग की जा रही है। अब तक किसी भी हमले में किसी दोषी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।

इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों की आस्था पर खतरे मंडरा रहे हैं। अब देखना होगा कि अमेरिकी प्रशासन इन सांप्रदायिक घृणा की घटनाओं को रोकने के लिए कितनी गंभीरता दिखाता है।