शेख हसीना के देश छोड़ने की वर्षगांठ पर बांग्लादेश में 5 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश घोषित

  • Post By Admin on Jun 21 2025
शेख हसीना के देश छोड़ने की वर्षगांठ पर बांग्लादेश में 5 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश घोषित

ढाका : बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के एक वर्ष पूरे होने पर अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने की पहली वर्षगांठ को राष्ट्रीय अवकाश दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस मौके पर देशभर में एक माह तक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी, जिसकी शुरुआत 1 जुलाई से होगी और समापन 5 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश के साथ होगा।

अंतरिम सरकार के सांस्कृतिक मामलों के सलाहकार मुस्तफा सरवर फारूकी ने ढाका स्थित विदेश सेवा अकादमी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि रविवार को अंतरिम सलाहकार परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके बाद गजट अधिसूचना जारी होगी।

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त, 2024 को अपनी बहन शेख रिहाना के साथ वायुसेना के विशेष विमान से भारत में शरण ली थी। यह कदम तब उठाया गया था जब बांग्लादेश में छात्र आंदोलन और व्यापक सत्ता विरोधी प्रदर्शनों ने सरकार को बुरी तरह हिला दिया था। उनके जाने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार सत्ता में आई।

सरकार द्वारा 1 जुलाई से शुरू होने वाले ‘उद्वासन उत्सव’ को बांग्लादेश में “लोकतांत्रिक पुनर्जन्म” के प्रतीक के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। इसमें सांस्कृतिक परेड, राजनीतिक संगोष्ठी और राष्ट्रीय स्मृति दिवस जैसे कई कार्यक्रम शामिल होंगे।

इस बीच, बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को 24 जून तक आत्मसमर्पण करने का अंतिम अल्टीमेटम दिया है। न्यायाधिकरण ने उन्हें भगोड़ा करार देते हुए मानवता के खिलाफ अपराधों से जुड़े मुकदमे का सामना करने को कहा है।

हसीना इस समय भारत की राजधानी दिल्ली में कड़ी सुरक्षा के बीच रह रही हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से संवाद कर रही हैं। बांग्लादेश सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार से संपर्क में है, हालांकि इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, 5 अगस्त का अवकाश न केवल हसीना युग के अंत की प्रतीकात्मक घोषणा है, बल्कि देश की नई सत्ता संरचना को वैधता दिलाने की कोशिश भी है। विपक्षी दलों ने इस फैसले को “लोकतंत्र का उपहास” बताया है और इसे जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करार दिया है।