भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) पर अगले आदेश तक लगी रोक
- Post By Admin on Jul 04 2024
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लखीसराय : जिला विधिज्ञ संघ के सदस्य अधिवक्ता रजनीश कुमार ने बताया कि पूरी तरह से पुराने कानून अभी समाप्त नहीं हुए है। एक कानून जो कि पुराना है और अब भी लागू है, हालांकि नए कानून में इसे परिभाषित तो किया गया है, लेकिन अगले आदेश तक इस पर रोक लगी है।
उन्होंने उदाहरण देकर विस्तृत जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (1) के बदले 106 (2) लाया गया है जिसके अन्तर्गत लापरवाही, उतावलेपन और जल्दीबाजी में की गई हरकत से मौत होने पर सजा को व्याख्यायित किया गया है। जिसका व्यापक पैमाने पर ट्रांसपोर्टरों और चालकों ने विरोध किया। फलतः भारत सरकार ने पीछे कदम लेते हुए अगले आदेश तक रोक लगा दी है। मोदी सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304(1ं) को भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) के रुप मं परिभाषित करते हुए तीन वर्गों मे विभक्त कर कार्यवाई और सजा का प्रावधान किया है। लापरवाही या उतावलेपन में किया गया कार्य जिसके फलाफल से किसी की मौत होती है तो उसे पांच साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। वहीं, लापरवाही के कारण चिकित्सकीय प्रकिया दौरान मौत होने से पंजीकृत चिकित्सक को छूट देते हुए मात्र दो वर्ष की सजा का प्रावधान रखा गया। वहीं, हित-एंड-रन मामलों में अगर दुर्घटना में शामिल चालक पुलिस या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट किए बिना भाग जाता है तो जुर्माना के साथ-साथ दस साल तक सजा की अवधि बढाई जा सकती है। अभी भी उक्त अपराधों से जुड़ी अपराध की घटना पर पुलिस को भारतीय दंड संहिता के तहत ही कार्यवाई करनी पड़ेगी। अभी भी पुराने कानून पूर्णतः समाप्त नहीं हुए हैं।