नटवर साहित्य परिषद की मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन
- Post By Admin on Nov 25 2024

मुजफ्फरपुर : शहर के छोटी सरैयागंज स्थित नवयुवक समिति के सभागार में रविवार को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में शहर और आसपास के क्षेत्रों के प्रसिद्ध कवि, शायर और साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से महफिल को सजाया।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि और गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र ने की। जबकि मंच संचालन की जिम्मेदारी वरिष्ठ शायर महफूज आरिफ ने निभाई। धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत “दर्द दिया ही नहीं दान फिर क्या दिया?” से हुई, जो श्रोताओं को गहरे विचार में डाल गया। इसके बाद डॉ. विजय शंकर मिश्र ने अपनी रचना “आओ पंछी नीड़ बनाओ, समझो, पेड़ तुम्हारा है…” प्रस्तुत की, जिसने खूब तालियां बटोरीं। शायर डॉ. नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने अपनी ग़ज़ल “धुआं धुआं सा उठा है, जरा ठहर जाओ, आशियां कोई जला है, जरा ठहर जाओ…” से महफिल में समां बांध दिया।
शायर महफूज आरिफ ने “ये जात पात की नफरत से दूर हम आरिफ, नये मिजाज का भारत चलो बनाये हम…” रचना पेश की, जो आज की सामूहिकता और एकता के संदेश को लेकर गूंज उठी। युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने “युद्ध के पहले कुरुक्षेत्र में, असमंजस में खड़ा रहा…” से श्रोताओं को भावनाओं के साथ जोड़ लिया।
भोजपुरी के कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने “बुढ़िया बइठल बइठल छोड़े जहर के पुड़िया, सांझ दुपहरिया…” सुनाकर समृद्ध भोजपुरी साहित्य का परिचय दिया। इसके अलावा, डॉ. जगदीश शर्मा, ओमप्रकाश गुप्ता, नरेन्द्र मिश्र, अरुण कुमार तुलसी, प्रमोद नारायण मिश्र, अशोक भारती और मुस्कान केशरी जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी अपनी रचनाओं से इस आयोजन को और भी खास बना दिया।
इसके अतिरिक्त कवि सुनील कुमार सिंह, सुरेन्द्र कुमार, रणवीर अभिमन्यु और कई अन्य कवियों की रचनाएं भी खूब सराही गईं। सभी रचनाओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं को समेटते हुए समाज और देश के उत्थान की ओर प्रेरित करने वाले संदेश दिए गए।
इस आयोजन में नटवर साहित्य परिषद की भूमिका बेहद अहम रही। जिसने न केवल साहित्य को बढ़ावा दिया बल्कि समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता फैलाने के लिए भी यह मंच उपलब्ध कराया। आयोजक ने भविष्य में इस तरह के आयोजनों को और बढ़ाने का संकल्प लिया, ताकि साहित्य और कला के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।