नीलगाय के आतंक से किसान परेशान, हर साल 60% फसल बर्बाद

  • Post By Admin on Jan 20 2025
नीलगाय के आतंक से किसान परेशान, हर साल 60% फसल बर्बाद

लखीसराय : जिले के सदर प्रखंड के अमहरा, मोरमा और बालगुदर पंचायतों में नीलगाय के आतंक ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। किसानों का कहना है कि नीलगाय के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे उनका सालाना 60 प्रतिशत उत्पादन नष्ट हो रहा है। यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि किसान खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता से उनकी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।

नीलगाय से फसलों को भारी नुकसान

बभनगामा पंचायत के कृषक नेता और किसान श्री से सम्मानित मृत्युंजय कुमार सिंह, समाजसेवी अनिल कुमार यादव और पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि राजेश कुमार ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि नीलगाय द्वारा केवल फसलों को खाने का काम नहीं होता, बल्कि उनके पैरों से भी फसलों की बर्बादी होती है। हर साल किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है, लेकिन पंचायत प्रतिनिधि और प्रशासन इस मुद्दे पर ध्यान देने में असफल रहे हैं।

मुखिया की उदासीनता और प्रशासन की चुप्पी

किसानों का आरोप है कि राज्य सरकार ने फसल सुरक्षा की जिम्मेदारी मुखिया के पास सौंप रखी है, लेकिन इस मामले में मुखिया भी बिल्कुल उदासीन बने हुए हैं। किसान लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रही। इस क्षेत्र में शूटर बुलाने की भी आवश्यकता महसूस हो रही है। जैसा कि सूर्यगढ़ा प्रखंड क्षेत्र में किया गया है। जहां शूटरों की मदद से नीलगाय के आतंक को नियंत्रित किया गया है।

बड़ी जमीनों पर फैला नीलगाय का असर

करीब 8 से 10 हजार एकड़ में फैला यह टाल क्षेत्र फिलहाल गेहूं, राई, मसूर, चना, रैचा, सब्जियां जैसे टमाटर, बैगन और छिमरी से भरा हुआ है। इन फसलों को नीलगाय द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बड़े किसान जैसे कन्हैया सिंह, मधुसूदन कुमार, दिवाकर सिंह, निरंजन सिंह और मृत्युंजय सिंह ने बताया कि नीलगाय के आतंक के कारण उन्होंने मिर्च और मक्का जैसी गरम फसलों की खेती छोड़ दी है।

नीलगाय के कारण फसल का 60% हिस्सा बर्बाद

बभनगामा टाल के लगभग आठ हजार विगहा क्षेत्रफल पर नीलगाय का असर बुरी तरह से पड़ा है। इस क्षेत्र में बभनगामा, नीमचक, अमहरा, आलापुर, जितपारपुर जैसे गांव शामिल हैं। जहां के किसान इस संकट से जूझ रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, नीलगाय के कारण प्रतिवर्ष लगभग 60 प्रतिशत फसल का नुकसान हो रहा है। जिससे किसानों की आय पर सीधा असर पड़ रहा है।

किसानों की बढ़ती चिंता

यह समस्या और भी विकराल रूप धारण कर चुकी है और किसान इस पर काबू पाने के लिए उपायों की तलाश में हैं। हालांकि, प्रशासन और पंचायत की ओर से कोई ठोस कदम न उठाए जाने से किसानों में निराशा का माहौल है। अब देखना यह है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब कार्यवाही करेंगे और किसानों को राहत देने के लिए कौन से ठोस कदम उठाए जाएंगे।