आचार्य किशोर कुणाल की पत्नी ने पद्मश्री मिलने पर जताई नाराजगी
- Post By Admin on Jan 27 2025

पटना : गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी और समाजसेवी आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की है। हालांकि, इस सम्मान से उनकी पत्नी अनिता कुणाल संतुष्ट नहीं दिखी। उन्होंने इसे उनके पति के विशाल कार्यक्षेत्र और योगदान के अनुसार कम बताया और कहा कि आचार्य किशोर कुणाल पद्मश्री से कहीं अधिक के हकदार थे। उनका मानना है कि उन्हें पद्मविभूषण या भारत रत्न मिलना चाहिए था।
असाधारण था किशोर कुणाल का योगदान
आचार्य किशोर कुणाल का कार्यक्षेत्र बेहद विस्तृत था। जिसमें उन्होंने अध्यात्म, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अनिता कुणाल ने कहा, “हम पद्मश्री से संतुष्ट नहीं हैं। उनके लिए पद्मश्री बहुत कम है। वे अधिक के हकदार थे। उनके योगदान को देखते हुए हमें विश्वास था कि उन्हें उच्चतम सम्मान मिलेगा।”
संपूर्ण समाज सेवा में योगदान
आचार्य किशोर कुणाल की बहू और सांसद शांभवी चौधरी ने इस पुरस्कार को लेकर खुशी जताई और कहा, “यह हमारे लिए गर्व का पल है। सिविल सेवा में उनके योगदान को पहचान मिली है और हम केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हैं।” शांभवी ने कहा कि उनके कार्यों की सराहना करना गर्व की बात है। विशेष रूप से सिविल सेवा के क्षेत्र में मरणोपरांत पद्मश्री मिलने पर।
किशोर कुणाल की सामाजिक सेवाओं का प्रभाव
आचार्य किशोर कुणाल का योगदान केवल पुलिस सेवा तक सीमित नहीं था। उन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज सेवा में निरंतर योगदान दिया। महावीर मंदिर ट्रस्ट के तहत महावीर कैंसर संस्थान की स्थापना की। जहां गरीब और वंचित वर्ग के लोग सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन विद्यालय की स्थापना की और कैमूर पहाड़ियों पर गुप्तकालीन मुंडेश्वरी भवानी मंदिर के जीर्णोद्धार में भी अहम भूमिका निभाई।
उनकी प्रमुख पहल और प्रयासों के कारण ही बिहार के पूर्वी चंपारण में दुनिया के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। उनका योगदान असाधारण था और उनके परिवार के सदस्य भी यही मानते हैं कि उनका कद किसी एक पद्म पुरस्कार से जस्टिफाई नहीं हो सकता।
पद्मश्री मिलने पर परिवार की प्रतिक्रिया
आचार्य किशोर कुणाल के पुत्र सायण कुणाल ने कहा, “हम केंद्र सरकार का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इतनी जल्दी पिताजी को मरणोपरांत पद्मश्री दिया। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, कोई भी पुरस्कार उनके कद को जस्टिफाई नहीं कर सकता। वे बिहारवासियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।”
नीतीश सरकार की मांग और विवाद
गौरतलब है कि बिहार की नीतीश सरकार ने आचार्य किशोर कुणाल को पद्मविभूषण देने की मांग की थी। उनके योगदान के मद्देनज़र राज्य सरकार का मानना था कि उन्हें इससे उच्च सम्मान मिलना चाहिए। हालांकि, केवल पद्मश्री मिलने पर उनके परिवार ने नाराजगी व्यक्त की है और इसे उनके कार्यों के मुकाबले छोटा सम्मान माना है।
किशोर कुणाल का निधन और उनकी विरासत
आचार्य किशोर कुणाल का निधन बीते 29 दिसंबर 2024 को हुआ था। उनका निधन 74 वर्ष के उम्र में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। आचार्य किशोर कुणाल ने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उनके योगदान के कारण उनकी विरासत हमेशा बिहार और देश भर में याद रखी जाएगी। उनकी पहल और प्रयासों के कारण कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का विकास हुआ और उन्हें एक प्रेरणा के रूप में देखा जाता है।