सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंगाल के 25,000 शिक्षकों की नौकरी गई, जीवनयापन का संकट

  • Post By Admin on Apr 04 2025
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंगाल के 25,000 शिक्षकों की नौकरी गई, जीवनयापन का संकट

कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने कई शिक्षकों की नौकरी छीन ली है और उनके लिए यह एक बड़ा सदमा बना है। ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला, जब कोर्ट ने राज्य सरकार की 25,000 शिक्षकों की भर्ती रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने आदेश दिया कि चयन प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर नए सिरे से पूरा किया जाए। इस फैसले के बाद नौकरी से निकाले गए शिक्षकों के सामने अब जीवनयापन का संकट आ गया है और उन्हें यह सोचने का मौका मिल रहा है कि वे कर्ज और बिल कैसे चुकाएंगे।

पश्चिम बंगाल के चंद्रनगर के सैकत घोष की नौकरी भी अब चली गई है। उन्होंने बताया कि उन्हें योग्यता के आधार पर नौकरी मिली थी और 28 फरवरी 2019 को उन्होंने एक शिक्षक के रूप में स्कूल जॉइन किया था। वर्षों तक सेवा देने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में नौकरी से हटा दिया गया। उनका कहना है कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। घोष परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य थे और अब वे इस स्थिति में हैं कि उन्हें और उनके परिवार को जीवनयापन के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

इसी तरह, साउथ 24 परगना के एक स्कूल में साइंस पढ़ाने वाली दीपा मंडल ने भी अपनी स्थिति पर दुःख व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि 2016 में परीक्षा देने के समय वे मानसिक रूप से तैयार थीं, लेकिन अब उनकी शादी हो चुकी है और उनके पास दो बच्चे हैं। साथ ही, घर का लोन भी चुकाना है। ऐसे में उन्हें नहीं पता कि वे दूसरी परीक्षा में कैसे सम्मिलित हो पाएंगी।

यह मामला 2016 की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है, जब राज्यभर में 25,000 से ज्यादा वैकेंसी के लिए 23 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने परीक्षा दी थी। बाद में, कलकत्ता हाईकोर्ट में यह आरोप लगाए गए थे कि अधिकांश कैंडिडेट्स को ओएमआर शीट के गलत मूल्यांकन के आधार पर नौकरी दी गई। हाईकोर्ट ने पाया कि 23 लाख आंसर शीट का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया गया था और उन्हें फिर से रिवैल्यूएट करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, सीबीआई को भर्ती घोटाले की जांच जारी रखने का आदेश भी दिया। इस फैसले के बाद, राज्य सरकार के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती बन गया है और उन शिक्षकों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन हो गई है, जिन्होंने इस दौरान नौकरी प्राप्त की थी।