शिवरात्रि : सत्यम, शिवम, सुंदरम की त्रिवेणी पर महादेव का अद्भुत विवाह

  • Post By Admin on Feb 26 2025
शिवरात्रि : सत्यम, शिवम, सुंदरम की त्रिवेणी पर महादेव का अद्भुत विवाह

शिवरात्रि का पावन पर्व संपूर्ण शिशिर और बसंत ऋतु के संगम का अद्भुत क्षण है। यह सत्यम, शिवम और सुंदरम की त्रिवेणी के रूप में प्रतिष्ठित है। इस विशेष अवसर पर शिव संपूर्ण ब्रह्मांड के महानायक और भवानी प्रकृति की मूलाधार शक्ति का दिव्य मिलन हुआ था।

शिव एक समान और एकाकार स्वरूप में स्थित हैं। जबकि देवी भवानी अपने विविध स्वरूपों में संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं। यही शक्ति का मूल रहस्य है। पंडित जय किशोर मिश्र ने बताया कि शिव विवाह की सनातन परंपरा का प्रारंभ प्रथम दक्ष कन्या सती से हुआ। लेकिन पति की आज्ञा का पालन न करने के कारण उन्हें रूपांतरित होना पड़ा। इसी क्रम में गंगा और देवी पार्वती की उत्पत्ति हुई।

गंगा अपनी श्रेष्ठता के कारण शिव के शिर पर प्रवाहित होने लगीं। जबकि पार्वती को शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या और अनेक परीक्षाओं से गुजरना पड़ा। पंडित जय किशोर मिश्र बताते हैं कि अंततः शिव ने उन्हें शत-प्रतिशत अंक देकर सर्वोत्तम पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, श्रवण नक्षत्र और मध्यरात्रि का वह पावन क्षण केवल महादेवी का अधिकार क्षेत्र था। जिसे शिव ने अपने प्रेम के ध्वज से विभूषित कर दिया। पुष्पित अशोक की डाली से वरण कर शिव ने देवी पार्वती को अपनाया।

पंडित जय किशोर मिश्र ने बताया कि यह दिन केवल शिव विवाह का उत्सव नहीं, बल्कि माया, जीव और परमब्रह्म के एकीकरण की संपूर्ण साक्षात तिथि मानी जाती है।