महिषासुर मर्दिनी माँ कात्यायनी की पूजा, कथा और महत्व

  • Post By Admin on Oct 08 2024
महिषासुर मर्दिनी माँ कात्यायनी की पूजा, कथा और महत्व

नई दिल्ली : चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
                  कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी।।

माँ दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है। इनकी उपासना दुर्गापूजा के छठवें दिन की जाती है।

इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा :

इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा इस प्रकार है—
कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी।
कुछ काल पश्चात् जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया तब भगवान् ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिये एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलायीं।

ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के यहाँ पुत्री रूप से उत्पन्न भी हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी  तीन दिनों तक इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था।

माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान् कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिये व्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तटपर की थी। ये व्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। 

माँ कात्यायनी का स्वरूप :

इनका स्वरूप अत्यन्त ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है।

आज के दिन का महत्व :

इस दिन साधक का मन 'आज्ञा' चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्त को सहज भाव से माँ कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

कौन सी मनोकामनाएं होती हैं पूरी :

पंडित जय किशोर मिश्र ने बताया कि, माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मान्तर के पापों को विनष्ट करने के लिये माँ की उपासना से अधिक सुगम और सरल मार्ग दूसरा नहीं है। 

आज का शुभ रंग :

माँ कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है। इस दिन लाल रंग का कपड़ा पहनना काफी शुभ माना जाता है। लाल रंग का वस्त्र पहनने से माँ की कृपा सदैव बनी रहती है।