कठिन तप और विजय की प्रतीक है ब्रह्मचारिणी देवी
- Post By Admin on Oct 04 2024

नई दिल्ली : दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
माँ दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। यहाँ 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तपका आचरण करनेवाली । ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है । इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमण्डलु रहता है।
अपने पूर्वजन्म में जब ये हिमालय के घर पुत्री - रूप में जन्म ली थीं तब नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान् शङ्कर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिये अत्यन्त कठिन तपस्या की थी। इसी कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया । देवी ब्रह्मचारिणी के हजारों वर्ष तक कठिन तपस्या करने से उनका शरीर अत्यंत ही कमजोर हो गया था। उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मैना अत्यन्त दुःखी हो उठीं। उन्होंने उन्हें उस कठिन तपस्या से विरत करने के लिये आवाज दी 'उमा', अरे! नहीं, ओ! नहीं!' तब से देवी ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म का एक नाम 'उमा' भी पड़ गया था।
उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ब्रह्मचारिणी देवी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे। अन्त में पितामह ब्रह्माजी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें सम्बोधित करते हुए प्रसन्न स्वरों में कहा – 'हे देवि ! आजतक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की थी। ऐसी तपस्या तुम्हीं से सम्भव थी। तुम्हारे इस अलौकिक कृत्य की चारों दिशाओं में सराहना हो रही है। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी । भगवान् शिवजी तुम्हें पति के रूप में प्राप्त होंगे। अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ । शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं ।'
माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्त फल देनेवाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है । जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है।
पंडित जय किशोर मिश्र ने बताया कि, देवी ब्रह्मचारिणी को लाल एवं श्वेत पित वस्त्र अति प्रिय हैं। सभी प्रकार के फल, मिश्री, बताशा, नारियल इनके प्रिय प्रसाद हैं।
वही, लाल कमल के फूल, पत्ती युक्त नौ सम्मी पुष्प अर्पण करने से भक्तों पर वह अपनी ममता बरसाती हैं।