पंच दिवसीय दीपोत्सव: एक अमृत महोत्सव 

  • Post By Admin on Oct 29 2024
पंच दिवसीय दीपोत्सव: एक अमृत महोत्सव 

नई दिल्ली : मंगलवार, 29 अक्टूबर एवं बुधवार, 30 अक्टूबर को दिवा 1:04 PM तक धन त्रयोदशी है। संध्या काल में 11वें रुदावतार हनुमानजी का जन्मोत्सव है। अमृतमय नक्षत्र हस्त रात 10:27 PM तक हैं। गुरुवार, 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। वही शुक्रवार, 1 नवंबर को स्वाति नक्षत्र युक्त प्रदोष व्यापनी अमावस्या है।

अर्द्धरात्रि में यमघंट योग के साथ यम परिवार का भूमंडल पर आगमन होता है। यम परिवार के लेखापाल चित्रगुप्त एवं लक्ष्मी की सहोदरा दरिद्रता भी साथ रहती है। उनका स्थान घर से बाहर उड़द एवं पुराने दीप के साथ किया जाता है।

विशेष अवसर :

अर्द्धरात्रि में यमघंट योग और यम परिवार का भूमंडल पर आगमन, जिसमें यमराज के लेखापाल चित्रगुप्त और लक्ष्मी की सहोदरा दरिद्रता भी शामिल हैं। इस अवसर पर घर से बाहर उड़द और पुराने दीपों के साथ उनका स्थानांतरण किया जाता है।

दीपोत्सव का महत्व :

पंच दिवसीय दीप महोत्सव को कार्तिक महीने का अमृत महोत्सव माना जाता है, जिसमें भूमि, जलस्रोत, और खगोल सभी को प्रकाश ऊर्जा से संतृप्त किया जाता है। यह पर्व "तमसो मा ज्योर्तिगमय" के सिद्धांत पर आधारित है, जो कि शक्ति पक्ष की पूर्णता का प्रतीक है।

भारत एक कृषिप्रधान राष्ट्र है, और इस समय कृषि धन-संपदा की पूजा और सम्मान श्रद्धा के साथ की जाती है। इस अवसर पर देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

भोर का महत्व :

दीवाली के भोर में यम मंडल एवं दरिद्रता का निसारण घर की श्रेष्ठ महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिसे भईयादूज के नाम से जाना जाता है। चित्रांशजन इस अवसर पर यम मंडल और चित्रगुप्तजी की उपासना कर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

"दीप ज्योति" का महत्व :

इन सभी त्योहारों में "दीप ज्योति" का अत्यधिक महत्व है। अध्यात्म विज्ञान के अनुसार, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को दीपज्योति ऊर्जा से उर्जावान और शक्तिशाली बनाना ही धरतीवासियों का परमकर्तव्य है।

इस पंच दिवसीय दीपोत्सव में हर व्यक्ति को अपने घरों को दीपों से सजाने और आत्मा के प्रकाश को जागृत करने का अवसर मिलता है।

पं. जय किशशोर मिश्र ने बताया कि दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर, हमें न केवल प्रकाश का स्वागत करना है, बल्कि अपने भीतर के अंधकार को दूर कर आत्मा के प्रकाश को भी जगाना है।