माँ चन्द्रघण्टा की आराधना से मिलता हैं निर्भयता और सौम्यता का आशीर्वाद

  • Post By Admin on Oct 05 2024
माँ चन्द्रघण्टा की आराधना से मिलता हैं निर्भयता और सौम्यता का आशीर्वाद

नई दिल्ली : पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
                  प्रसादं तनुते मह्मं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

माँ दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है। नवरात्रि के तीसरे दिन इन्हीं की आराधना की जाती हैं। इनका यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण इन्हें चन्द्रघण्टा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत रहने की होती है। इनके भयानक चण्ड ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव कांपते रहते हैं।

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा का अत्यधिक महत्त्व है। इस दिन साधक का मन 'मणिपूर' चक्र में प्रविष्ट होता है। माँ चन्द्रघण्टा की कृपा से उनके भक्तों की समस्त पाप और बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना शीघ्र फलदायी है। इनकी मुद्रा सदैव युद्ध के लिए अभिमुख रहने की होती हैI अतः भक्तों के कष्ट का निवारण ये अत्यन्त शीघ्र कर देती हैं। 

दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरूप आराधक के लिए अत्यन्त सौम्यता एवं शान्ति से परिपूर्ण रहता है।

इनकी आराधना से प्राप्त होने वाला एक बहुत बड़ा सद्गुण यह भी है कि साधक में वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता है।

उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं।