2025 में मोदी सरकार के लिए बिहार चुनाव अहम, तय करेगा देश की राजनीति का भविष्य
- Post By Admin on Jan 01 2025

नई दिल्ली : 2024 में केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आई भाजपा के लिए 2025 का साल निर्णायक साबित हो सकता है। लोकसभा चुनाव में 240 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिल सका। जेडीयू, लोजपा, टीडीपी और एकनाथ शिंदे गुट की मदद से भाजपा ने सरकार बनाई, लेकिन बिहार चुनाव उसके लिए नई चुनौती लेकर आ रहा है।
बिहार चुनाव: नीतीश कुमार बनाम भाजपा
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से केंद्र में रहे हैं। चाहे आरजेडी के साथ गठबंधन हो या भाजपा के साथ, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश ही काबिज रहे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए बिहार में अपनी साख बनाना बड़ी चुनौती है।
हाल ही में भाजपा नेता और बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा था कि "बिहार में भाजपा की अपनी सरकार बनना अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।" इस बयान जेडीयू को चुभ गई। फिर जो पोस्टर जेडीयू ने लगाए थे, उसने भी साफ कर दिया कि बिहार में नीतीश कुमार के नाम पर कोई समझौता नहीं होगा।
जेडीयू ने पोस्टर जारी कर कहा, "बात जब बिहार की हो तो चेहरा सिर्फ नीतीश कुमार का हो।"
भाजपा के सामने चुनौतियां
बिहार चुनाव से पहले भाजपा के लिए कई मुश्किलें खड़ी हैं:
1. नीतीश कुमार के साथ तालमेल: जेडीयू और भाजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है।
2. क्षेत्रीय नेताओं को साधना: चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं को साथ रखना भाजपा के लिए अहम होगा।
3. बिहार की बदलती राजनीति: राज्य में राजनीति का मिजाज पल-पल बदलता है। ऐसे में किसी भी तरह का बड़ा उलटफेर चौंका सकता है।
दिल्ली तक असर डाल सकता है बिहार चुनाव
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार चुनाव का परिणाम न केवल राज्य बल्कि केंद्र की राजनीति को भी प्रभावित करेगा। यदि एनडीए को यहां हार का सामना करना पड़ा तो भाजपा और जेडीयू के रिश्तों में दरार पड़ सकती है, जिसका असर दिल्ली तक दिखाई देगा।
दिल्ली चुनाव से तुलना
दिल्ली विधानसभा चुनाव भी फरवरी 2025 में होने हैं। हालांकि, इसका असर केंद्र की राजनीति पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहां भाजपा के 7 सांसद पहले से मौजूद हैं। इसके उलट बिहार का चुनाव भाजपा के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा जितना ही महत्वपूर्ण है।
क्या कहता है राजनीतिक समीकरण?
बिहार में भाजपा को न केवल अपने गठबंधन सहयोगियों को साथ रखना होगा, बल्कि नीतीश कुमार के साथ मजबूत तालमेल भी बनाना होगा। इस बीच जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई समझौता नहीं होगा।