राष्ट्रकवि दिनकर जी की अविस्मरणीय रचना

  • Post By Admin on Mar 18 2018
राष्ट्रकवि दिनकर जी की अविस्मरणीय रचना

ये धुंध कुहासा छंटने दो

          रातों का राज्य सिमटने दो

प्रकृति का रूप निखरने दो

          फागुन का रंग बिखरने दो,

प्रकृति दुल्हन का रूप धर

           जब स्नेह – सुधा बरसायेगी

शस्य – श्यामला धरती माता

           घर -घर खुशहाली लायेगी,

तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि

           नव वर्ष मनाया जायेगा

आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर

           जय-गान सुनाया जायेगा…

सुदामा न्यूज़ परिवार की ओर से नव वर्षं संवत् २०७५ रविवार की  हार्दिक मंगलकामना।