लो फिर तना
कुहरा घना !
हादसों का
फिर सिलसिला
किससे करें
शिकवा गिला
गूफ्तगू में
राजा यहाँ
फिर प्रजा पर
पहरा बना ।
डूबते को
डूब जाना
उस पर मना
कुनमुनाना
तिमिर से क्यों
रौशनी का
खौफ इतना
गहरा छना ।
यह समय का
चक्र ऐसा
राज रथ है
बक्र कैसा
केसरी तन
सिमटा हुआ
मेमनों सा
दुहरा बना ।
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