शिक्षा जैसी होगी, राष्ट्र भी वैसा ही बनेगा : डॉ. सुधांशु कुमार
- Post By Admin on Dec 16 2023
शिक्षण महज पेशा नहीं , सबसे बड़ी राष्ट्र सेवा है । जिस देश के जैसे शिक्षक, वैसी शिक्षा और जैसी शिक्षा वैसा राष्ट्र होता है। किसी भी राष्ट्र की अस्मिता और समृद्धि सीधे शिक्षा से प्रभावित होती है। अमेरिका, रूस जापान , जर्मनी, इजरायल,और फ्रांस जैसे देश समृद्धि के शिखर पर आरूढ़ इसलिए हो पाए क्योंकि उन्होंने अपनी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने का कार्य सर्वप्रथम संपादित किया । आज हमारे बिहार की शिक्षा व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने का कार्य किया जा रहा है। उक्त बातें शनिवार को प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय मसौढ़ी, पटना में बीपीएससी द्वारा चयनित नवनियुक्त शिक्षको की आरंभिक प्रशिक्षण चर्या के समापन सत्र के अवसर पर सभी प्रशिक्षु शिक्षकों को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के शैक्षणिक प्रमुख डा. सुधांशु कुमार ने यह बात कही ।
इस तीसरे बैच में दरभंगा के जाले , सिंघवारा, मनीगाछी, कुशेश्वरस्थान आदि कई प्रखंड के 301 प्रारंभिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने भाग लिया। समापन सत्र कार्यक्रम के अवसर पर नवनियुक्त शिक्षको द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने महाविद्यालय के व्याख्याताओं को शाल एवं डायरी एवं पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। तदुपरांत एकांकी, काव्यपाठ, शिवतांडव स्तोत्र, आशुवाचन प्रतियोगिता एवं प्रहसन आदि कार्यक्रम प्रशिक्षु शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत संभाषण क्रम में महाविद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी व व्यंग्यकार डा सुधांशु कुमार ने कहा कि जिस बिहार ने कभी भारत वर्ष को विश्वगुरु के पद पर आसीन किया , वह आज शिक्षा के सबसे निचले पायदान पर है , जो चिंतनीय है और इसे तभी सुधारा जा सकता है जब यहां के शिक्षक संपूर्ण तन्मयता व समर्पण के साथ अपने दायित्वों को पूरा करने का संकल्प लें। इसी चरमरायी शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण कार्य शिक्षा विभाग द्वारा एससीईआरटी के तत्वावधान में किया जा रहा है। यह बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत है।
यहां यह भी विदित हो कि शैलेन्द्र कुमार मिश्र, शिक्षा कुमारी , सुनीता कुमारी, मीनू कुमारी, शिवांगी कुमारी स्वतंत्र कुमार , हृषिकेष कुमार आदि सभी शिक्षक शिक्षिकाओं ने एक स्वर में इस बात को स्वीकार किया कि इस प्रशिक्षण ने उन्हें न केवल जागरूक किया है बल्कि परंपरागत अध्ययन- अध्यापन में सुधार करने के लिए प्रेरित भी किया है। उन्होंने महसूस किया कि यह प्रशिक्षण उनके लिए जरूरी था । सभी शिक्षकों ने संकल्प लिया कि यथासंभव अपने-अपने विद्यालयों के बच्चों को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगें क्योंकि जब शिक्षक नित्य नए ज्ञान से अवगत होंगे तो उसका लाभ बच्चों को अवश्य मिलेगा । महाविद्यालय की व्याख्याता सह नोडेल प्रभारी व्याख्याता डा. रानी कुमारी एवं व्याख्याता मिनाक्षी कुमारी ने बताया कि एक शिक्षक को हमेशा विचारशील, नवाचारी और सृजनशील होना चाहिए ताकि शिक्षकों का यह ज्ञान बच्चों में जा सके। इससे शिक्षकों के माध्यम से देश के लिए बेहत्तर नागरिक बनाने में न केवल मदद मिलेगा बल्कि बेहतर समाज का निर्माण होगा और अंततः एक श्रेष्ठ राष्ट्र की संकल्पना हम पूरा कर सकेगें। इस अवसर पर प्रशिक्षु शिक्षक श्री शैलेन्द्र मिश्र ने अपने धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में कहा कि वर्तमान समय में शिक्षकों की भूमिका बढ़ गई है और शिक्षकों पर बेहतर समाज के लिए बेहत्तर नागरिक तैयार करने की जिम्मेवारी है ।अतः हम सभी शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों के साथ यथासंभव बेहतर शिक्षा देने का प्रयास करें ताकि बच्चें देश के लिए सक्षम और योग्य नागरिक बन सके । यहां यह भी ज्ञात हो कि सभी प्रशिक्षु शिक्षक महाविद्यालय के आवभगत व रह सहन से अत्यंत ही प्रसन्न थे साथ ही यह भी इच्छा जाहिर कर रहे थे कि प्रशिक्षण कम से कम बीस दिनों का होना चाहिए। इस अवसर व्याख्याता श्रीमती मिनाक्षी कुमारी, श्रीमती सीमा कुमारी, श्रीमती डॉ. रानी कुमारी एवं संसाधन सेवी राजपथ सिंह यादव के साथ- साथ सभी शिक्षकेतर कर्मी भी मौजूद रहें।