एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल पड़ सकता है भारी, आईसीएमआर ने दी चेतावनी
- Post By Admin on Dec 29 2025
नई दिल्ली : एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते और अनियंत्रित उपयोग पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने गंभीर चिंता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने लोगों से बिना चिकित्सकीय सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन न करने की अपील की है।
डॉ. बहल ने बताया कि निमोनिया, यूटीआई और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक दवाएं अब कई मामलों में असरहीन होती जा रही हैं। इसका मुख्य कारण इन दवाओं का अत्यधिक और अनावश्यक इस्तेमाल है। उन्होंने कहा कि पहले यह माना जाता था कि एंटीबायोटिक हर संक्रमण का समाधान है, लेकिन वर्तमान में स्थिति बदल चुकी है।
आईसीएमआर प्रमुख के अनुसार, जब संक्रमण की पुष्टि के बिना या मामूली लक्षणों में भी एंटीबायोटिक ली जाती हैं, तो बैक्टीरिया धीरे-धीरे इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। नतीजतन, गंभीर संक्रमण के समय दवाएं असर नहीं करतीं और मरीज को अधिक मात्रा या ज्यादा शक्तिशाली एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है।
डॉ. बहल ने कहा कि एंटीबायोटिक का इस्तेमाल केवल तब किया जाना चाहिए, जब डॉक्टर स्पष्ट रूप से बैक्टीरियल संक्रमण की पुष्टि करें। उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि एंटीबायोटिक को पेरासिटामोल की तरह सामान्य दवा समझकर लेना खतरनाक हो सकता है। इसके अधिक सेवन से शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी नष्ट होते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि त्वरित राहत के लिए लोग बिना सलाह के दवाएं ले लेते हैं, जिसके कारण संक्रमण और बीमारियां एंटीबायोटिक पर भारी पड़ने लगी हैं। उन्होंने भी जिम्मेदार और समझदारी से दवाओं के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया था।