सहारा समूह पर ईडी की बड़ी कार्यवाई, नौ ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में छापेमारी
- Post By Admin on Aug 12 2025

कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा समूह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के तहत 11 अगस्त को कोलकाता जोनल कार्यालय की ओर से एक बड़ी कार्यवाई की। इस कार्यवाई में ईडी ने गाजियाबाद, लखनऊ, श्रीगंगानगर और मुंबई समेत देश के विभिन्न हिस्सों में समूह से जुड़े कुल 9 ठिकानों पर छापेमारी की। ये ठिकाने सहारा समूह की विभिन्न कंपनियों और संस्थाओं के कार्यालय थे, जो जमीन और शेयर लेन-देन से संबंधित गतिविधियों में संलिप्त बताए जाते हैं।
यह कार्यवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शुरू की गई जांच का हिस्सा है, जो ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज तीन एफआईआर के आधार पर की जा रही है। ये एफआईआर हमारी इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) समेत अन्य सहारा समूह से जुड़े संस्थानों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (साजिश) के तहत दर्ज की गई थीं।
ईडी की जांच में सामने आया है कि सहारा समूह ने निवेशकों को बड़े पैमाने पर धोखा दिया है। आरोप है कि समूह ने जबरन पुनर्निवेश कराया और मैच्योरिटी पर होने वाले भुगतान रोक दिए। इसके चलते निवेशकों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। जांच में यह भी पता चला कि समूह ने एचआईसीसीएसएल, एससीसीएसएल, एसयूएमसीएस, एसएमसीएसएल, एसआईसीसीएल, एसआईआरईसीएल, एसएचआईसीएल जैसी कई कंपनियों के जरिए एक बड़ी पोंजी स्कीम चलाई। इस योजना में निवेशकों और एजेंटों को उच्च रिटर्न और कमीशन का लालच देकर पैसे जमा कराए गए, जिनका दुरुपयोग किया गया।
ईडी ने पाया कि निवेशकों से लिए गए धन का उपयोग बिना किसी नियामक नियंत्रण के मनमाने तरीके से किया गया। समूह ने न तो निवेशकों को समय पर भुगतान किया और न ही उन्हें पूरी जानकारी दी। इसके बजाय दबाव बनाकर या गलत जानकारी देकर निवेशकों को पुनः निवेश के लिए मजबूर किया गया। खातों में हेरफेर कर इन गैर-भुगतानों को छिपाया गया। इसके अलावा, समूह ने वित्तीय क्षमता के अभाव में भी नए निवेश स्वीकार करना जारी रखा, जिससे भारी अनियमितताएं सामने आईं।
अनुसंधान में यह भी पता चला कि निवेशकों से जमा राशि का एक बड़ा हिस्सा संदिग्ध शेयर लेन-देन, बेनामी संपत्तियों के निर्माण, और निजी खर्चों में लगाया गया। सहारा समूह की संपत्तियों को भी आंशिक नकद भुगतान पर बेचा गया, जिससे निवेशकों के वैध दावे और अधिक प्रभावित हुए। छापेमारी के दौरान ईडी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, वित्तीय रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत जब्त किए, और संबंधित व्यक्तियों के बयानों को दर्ज किया।
इसके पहले, ईडी ने इस मामले में तीन अस्थायी कुर्की आदेश जारी किए हैं। इनमें अंबी वैली की लगभग 707 एकड़ जमीन जिसकी कीमत लगभग 1,460 करोड़ रुपए है, सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड की करीब 1,023 एकड़ जमीन जिसका मूल्य लगभग 1,538 करोड़ रुपए आंका गया है और चांदनी रॉय (पत्नी: सीमांत रॉय) की लगभग 14.75 करोड़ रुपए मूल्य की चल संपत्ति शामिल हैं।
ईडी ने इस जांच में सहारा समूह के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट ऑफिस के कार्यकारी निदेशक अनिल वैलापरमपिल अब्राहम और समूह के लंबे समय से जुड़े प्रॉपर्टी ब्रोकर जितेंद्र प्रसाद वर्मा को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है।
यह मनी लॉन्ड्रिंग केस सहारा समूह के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जांचों में से एक माना जा रहा है। जांच एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, जिससे वित्तीय अनियमितताओं के व्यापक पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
सहारा समूह की इस जांच ने निवेशकों के बीच भारी असंतोष और चिंता को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कार्यवाई से निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम होगी। साथ ही, इससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने और गैरकानूनी वित्तीय गतिविधियों पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।