सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के दोषी को लताड़ा, कहा सरस्वती पूजा और फिर यह सब

  • Post By Admin on Jan 24 2025
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के दोषी को लताड़ा, कहा सरस्वती पूजा और फिर यह सब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्स को घरेलू उत्पीड़न के मामले में कड़ी फटकार लगाई है। 2015 में दहेज उत्पीड़न और पत्नी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के मामले में दोषी करार दिए गए योगेश्वर साव ने अपने खिलाफ सजा को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। इस अपील में उसने डेढ़ साल की कैद की सजा को कम करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे बुरी तरह से लताड़ते हुए राहत देने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने योगेश्वर के व्यवहार पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, आप कैसे इंसान हैं, जो अपनी बेटियों की भी कोई परवाह नहीं करते? आखिर ऐसे क्रूर शख्स को हम कैसे कोर्ट में आने की परमिशन दे सकते हैं? 

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए योगेश्वर के घर पर सरस्वती पूजा और लक्ष्मी पूजा करने के आचरण पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि, सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा और फिर यह सब…।

बेंच ने आगे कहा कि अगर योगेश्वर अपनी बेटियों के नाम पर कुछ खेती की ज़मीन ट्रांसफर करने को तैयार होता है, तो वे उसे राहत देने पर विचार कर सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस शख्स को राहत तभी दी जाएगी, जब वह अपनी बेटियों को खेती की ज़मीन ट्रांसफर करने का वादा करेगा।

यह मामला 2003 में योगेश्वर और उसकी पत्नी के विवाह से जुड़ा है। महिला ने आरोप लगाया था कि योगेश्वर ने उससे 50 हजार रुपये का दहेज मांगा और इसके अलावा उसके गर्भाशय को जबरन हटवा दिया। निचली अदालत ने योगेश्वर को दोषी मानते हुए उसे ढाई साल की सजा सुनाई थी, लेकिन झारखंड हाई कोर्ट ने उसे 11 महीने की सजा के बाद राहत दी और सजा को निलंबित कर दिया था। फिर, उच्च न्यायालय ने सितंबर 2024 में उसे दोषी करार दिया और डेढ़ साल की सजा सुनाई, साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

कोर्ट ने कहा कि पत्नी के गर्भाशय को जबरन हटवाने के आरोप में कोई ठोस सबूत नहीं मिले, लेकिन दहेज की मांग और उत्पीड़न के मामलों में उसे सजा दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, आपका आचरण पूरी तरह से अस्वीकार्य है, खासकर जब आप धार्मिक कर्मकांड करते हैं और फिर ऐसी घिनौनी हरकतें करते हैं। 

अदालत ने यह भी कहा कि एक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का पालन करते हुए ही राहत मिल सकती है और योगेश्वर को तब तक कोई राहत नहीं दी जाएगी जब तक वह अपनी बेटियों के हक में कोई संपत्ति नहीं करता।