स्वर कोकिला लता मंगेशकर के पुण्यतिथि पर जाने इन 7 अनसुनी बातें जिससे आप भी होंगे अनजान
- Post By Admin on Feb 06 2025

नई दिल्ली : भारत की महान गायिका लता मंगेशकर, जिन्हें ‘स्वर कोकिला’, ‘बुलबुल-ए-हिंद’ और ‘कोकिला’ जैसे नामों से सम्मानित किया गया, 6 फरवरी 2022 को दुनिया को अलविदा कह गईं। हालांकि वह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनके गाने आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। लता मंगेशकर की पुण्यतिथि पर हम उनके जीवन से जुड़ी 7 अनसुनी और दिलचस्प बातें आपके सामने लाए हैं, जो शायद आप पहले नहीं जानते होंगे।
लता मंगेशकर का असली नाम था ‘हेमा’
लता मंगेशकर का असली नाम ‘हेमा’ था। हालांकि, उन्होंने अपना नाम एक प्रसिद्ध पात्र ‘लतिका’ के नाम पर बदल लिया था, जो उनके पिता के नाटक ‘भाव बंधन’ में था। बाद में उनका नाम ‘लता’ रखा गया, जो उनके करियर और पहचान का अहम हिस्सा बन गया।
पांच साल की उम्र में शुरू की गायकी
लता मंगेशकर का संगीत से परिचय बहुत कम उम्र में हुआ। उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, थिएटर अभिनेता और शास्त्रीय संगीतकार थे। पांच साल की उम्र में ही लता ने गाना शुरू कर दिया था। एक बार अपने पिता के शागिर्द द्वारा गाए गए राग में गलतियां पकड़ने के बाद, उन्होंने गायकी में अपनी क्षमता का परिचय दिया। उनके पिता ने जल्द ही महसूस किया कि उनकी बेटी में विशेष संगीत प्रतिभा है।
कभी नहीं सुनी अपने गाने की रिकॉर्डिंग
लता मंगेशकर ने कभी अपने गाने नहीं सुने। एक बार उन्होंने बताया था कि उन्हें अपनी गायकी में कई खामियां नजर आती हैं, इस कारण वे अपने गाने कभी नहीं सुनतीं। यह उनके आत्म-समर्पण और शुद्धता की ओर इशारा करता है।
पहला गाना कभी नहीं हुआ था लाइव
लता मंगेशकर ने 1938 में शोलापुर में अपने पहले सार्वजनिक प्रदर्शन से गायन की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए रिकॉर्ड किया था, लेकिन वह गाना फिल्म के अंतिम कट से हटा दिया गया था।
नेहरू जी भी हुए थे रोने को मजबूर
लता मंगेशकर का गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ भारत के सैनिकों की शहादत के लिए समर्पित था। 1963 में इस गाने का प्रदर्शन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने हुआ और गाने की भावनाओं ने उन्हें भावुक कर दिया, जिससे वह रो पड़े।
रॉयल अल्बर्ट हॉल में किया था प्रदर्शन
लता मंगेशकर ने प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में लाइव परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय गायिका होने का गौरव हासिल किया। यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनका पहला प्रदर्शन था, जिसने भारतीय संगीत को वैश्विक पहचान दिलाई।
25,000 गानों का रिकॉर्ड
लता मंगेशकर ने अपने करियर में लगभग 25,000 गाने गाए थे, जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। हालांकि, मोहम्मद रफी ने इस रिकॉर्ड का विरोध करते हुए इसे चुनौती दी थी, लेकिन यह संख्या लता की बहुमुखी प्रतिभा और योगदान को दर्शाती है।
इन अनसुनी बातों से यह साफ होता है कि लता मंगेशकर का जीवन न सिर्फ संगीत की दुनिया में एक मील का पत्थर था, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक अमिट छाप छोड़ने में मदद की। उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।