मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन, गायन-वादन की दुनियां में शोक की लहर

  • Post By Admin on Dec 15 2024
मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन, गायन-वादन की दुनियां में शोक की लहर

नई दिल्ली : भारतीय संगीत की दुनिया के महान तबला वादक और पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया। वह सेन फ्रांसिसको में इलाज करा रहे थे। जहां रविवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। उस्ताद जाकिर हुसैन की मृत्यु की खबर ने भारतीय संगीत और कला जगत को गहरे शोक में डाल दिया है।

उस्ताद जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान शख्सियत थे। जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी तबला वादन को नई पहचान दिलाई। उन्होंने अपनी कला से दुनिया भर के श्रोताओं का दिल जीता और भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।

उनकी संगीत यात्रा में कई ऐतिहासिक क्षण थे। जिसमें उन्होंने रवी शंकर, लता मंगेशकर और पंडित बिरजू महाराज जैसे दिग्गजों के साथ संगीत प्रस्तुत किया। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारतीय संगीत की महत्ता को बढ़ाया। उनका योगदान तबला वादन के क्षेत्र में असाधारण था और उनकी प्रस्तुतियां आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेंगी।

उस्ताद जाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2014 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने ग्रामोफोन अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार भी जीते और उनकी कला को न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में सराहा गया।

उस्ताद जाकिर हुसैन का मानना था कि संगीत आत्मा की भाषा है और उनकी यह सोच उनके संगीत में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थी। उन्होंने कई बड़े संगीतकारों और कलाकारों के साथ सहयोग किया और भारतीय संगीत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके योगदान को संगीत प्रेमी और कलाकार हमेशा याद रखेंगे।

उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से भारतीय संगीत जगत ने अपना एक अटल स्तंभ खो दिया है। उनकी कला और योगदान को भारतीय संगीत में हमेशा याद किया जाएगा। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बने रहेंगे। जिनकी विरासत कभी खत्म नहीं होगी।

उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों से लेकर संगीत की दुनिया तक, सभी इस दुखद घटना पर शोक संतप्त हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएँ की जा रही हैं और उनका योगदान भारतीय कला जगत में हमेशा जीवित रहेगा।