फैक्ट चेक : ईसीआई की राहुल गांधी को दो टूक, शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर राष्ट्र से मांगें माफी
- Post By Admin on Aug 08 2025
 
                    
                    नई दिल्ली : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग से पूछे गए पांच सवालों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। ईसीआई ने राहुल गांधी के आरोपों को भ्रामक बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर फैक्ट चेक जारी किया।
चुनाव आयोग ने बताया कि कांग्रेस की मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट उपलब्ध कराने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने 'कमलनाथ बनाम चुनाव आयोग, 2019' मामले में खारिज कर दिया था। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि कोई उम्मीदवार अपने निर्वाचन को चुनौती देना चाहता है, तो वह 45 दिनों के अंदर संबंधित हाई कोर्ट में चुनाव याचिका (ईपी) दायर कर सकता है।
ईसीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि सीसीटीवी फुटेज को तब तक सुरक्षित रखा जाता है जब तक चुनाव याचिका दायर हो। अगर कोई याचिका नहीं होती, तो इतनी बड़ी संख्या में सीसीटीवी फुटेज की जांच असंभव है और इससे मतदाता की गोपनीयता भी खतरे में पड़ सकती है।
चुनाव आयोग ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन कभी भी लिखित शिकायत या स्व-हस्ताक्षरित शपथ पत्र जमा नहीं किया। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस कमेटी के वकील ने पत्र भेजा था, जिसका जवाब ईसीआई ने 24 दिसंबर 2024 को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। इसके बावजूद राहुल गांधी ने इसे नकारा।
ईसीआई ने कहा, अगर राहुल गांधी अपने विश्लेषण और आरोपों पर विश्वास करते हैं, तो उन्हें मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत विशिष्ट मतदाताओं के खिलाफ दावे और आपत्तियां दर्ज करानी चाहिए और शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो इसका मतलब है कि वे झूठे आरोप लगा रहे हैं और इस स्थिति में उन्हें राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से पांच सवाल उठाए थे — विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट न मिलने, सीसीटीवी और वीडियो सबूत मिटाए जाने, फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी, विपक्षी नेताओं को धमकाने, और चुनाव आयोग के भाजपा एजेंट बनने को लेकर। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है और उसकी चोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस बीच चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति साफ करते हुए आरोपों को खारिज कर दिया है और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
 
                             
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