गर्भाशय कैंसर के नए जीनोमिक जोखिम कारकों की खोज, इलाज में मिल सकती है नई राह
- Post By Admin on Aug 08 2025

नई दिल्ली : गर्भाशय कैंसर के विकास में भूमिका निभाने वाले नए जीनोमिक जोखिम कारकों की खोज एक नए अध्ययन में हुई है। इस रिसर्च से इस घातक बीमारी की पहचान और उपचार के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं।
जर्मनी के हनोवर मेडिकल स्कूल (एमएचएच) की टीम ने अध्ययन के दौरान पांच नए जीनोमिक स्थानों की पहचान की है, जो गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) में ट्यूमर बढ़ाने में मदद करते हैं। इस खोज के साथ एंडोमेट्रियल कैंसर से जुड़े ज्ञात जीनोमिक जोखिम कारकों की संख्या अब 21 हो गई है, जो पहले 16 थी।
एमएचएच की स्त्री रोग अनुसंधान इकाई की प्रमुख डॉ. थिलो डॉर्क बुसेट ने बताया कि यह खोज वंशानुगत गर्भाशय कैंसर के जोखिम का अधिक सटीक अनुमान लगाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, “जितने अधिक जोखिम से जुड़े जीनों की पहचान होगी, उतनी ही बेहतर भविष्यवाणी की जा सकेगी।”
इस अध्ययन के लिए टीम ने विश्व के विभिन्न देशों के राष्ट्रीय बायोबैंक से आनुवंशिक डेटा जुटाया। एंडोमेट्रियल कैंसर से पीड़ित 17,000 से अधिक मरीजों के जीनोमिक बदलावों की तुलना लगभग 2,90,000 स्वस्थ महिलाओं से की गई। परिणामों की पुष्टि एक अन्य स्वतंत्र समूह में भी की गई।
टीम ने विशेष रूप से 'नेविगेटर-3 (NAV3)' नामक नए रिस्क जीन का अध्ययन किया, जो सामान्य तौर पर कोशिका वृद्धि को रोकता है और ट्यूमर सप्रेसर के रूप में कार्य करता है। बायोलॉजिस्ट डॉ. धन्या रामचंद्रन के अनुसार, NAV3 की भूमिका कैंसर विकास को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण हो सकती है।
इस शोध से न केवल गर्भाशय कैंसर के जोखिम को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे नए निवारक उपाय और उपचार विकसित करने के रास्ते भी खुल सकते हैं।
गर्भाशय कैंसर महिलाओं में एक गंभीर बीमारी है, जिसकी विश्वव्यापी घटनाएं हर साल बढ़ रही हैं। मोटापा, मधुमेह और हार्मोनल असंतुलन इसके प्रमुख जोखिम कारक माने जाते हैं।