जानिए ध्वजारोहण और तिरंगा फहराने के बीच का अंतर

  • Post By Admin on Jan 21 2025
जानिए ध्वजारोहण और तिरंगा फहराने के बीच का अंतर

नई दिल्ली : भारत में दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हर साल बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाए जाते हैं। इन दोनों अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन इन दोनों दिनों की प्रक्रिया और प्रतीकात्मकता में एक स्पष्ट अंतर होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इन दोनों दिनों के ध्वजारोहण और तिरंगा फहराने में क्या अंतर है।

ध्वजारोहण (Flag Hoisting): 15 अगस्त

स्वतंत्रता दिवस के दिन जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसे ध्वजारोहण कहते हैं। इस दिन राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडे के खंभे के निचले हिस्से में बंधा होता है, जिसे प्रधानमंत्री रस्सी खींचकर ऊपर उठाते हैं और फहराते हैं।

15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। झंडे को नीचे से ऊपर ले जाना इस बात का प्रतीक है कि भारत ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़कर स्वतंत्रता प्राप्त की है। इस दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं। प्रधानमंत्री देश की जनता के प्रतिनिधि के रूप में यह कार्य करते हैं। यह दिन स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों और बलिदानों को याद करने का है।

तिरंगा फहराना (Flag Unfurling): 26 जनवरी

गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहराने की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है। इस दिन तिरंगा पहले से ही खंभे के शीर्ष पर बंधा होता है और राष्ट्रपति केवल इसे खोलते हैं और फहराते हैं। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक गणतंत्र बना। झंडे को पहले से ऊपर बांधकर फहराना इस बात का प्रतीक है कि भारत अब एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है। इस दिन कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। राष्ट्रपति देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते इस कार्य को अंजाम देते हैं। यह दिन भारत के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का है।

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर

राष्ट्रीय पर्वों की भावना

दोनों राष्ट्रीय पर्वों का महत्व अलग-अलग है, लेकिन उद्देश्य एक ही है राष्ट्र के प्रति गर्व और सम्मान प्रकट करना। 

15 अगस्त: यह दिन स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों को याद करने और स्वतंत्रता की कीमत समझने का है।

26 जनवरी: यह दिन संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित है।

उत्सव का तरीका

दोनों दिनों पर झांकियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति गीतों के माध्यम से देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना जगाई जाती है। 15 अगस्त को स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। जबकि 26 जनवरी को सैन्य परेड और झांकियों के जरिए भारत की ताकत और विविधता को प्रदर्शित किया जाता है।