इंद्रप्रस्थ की फिर हुई खोज शुरू, पुराने किले में खुदाई चालू

  • Post By Admin on Jan 16 2023
इंद्रप्रस्थ की फिर हुई खोज शुरू, पुराने किले में खुदाई चालू

नई दिल्ली: पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ से पर्दा उठाने के लिए पुराना किले में फिर से खुदाई शुरू हुई है। सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पुराने किले में फिर से खुदाई शुरू की है। आजादी के बाद से यह पांचवां प्रयास है, जब इस मामले से पर्दा उठाने के लिए खोदाई शुरू की गई है। इस प्रोजक्ट को एएसआइ के वरिष्ठ अधिकारी वसंत स्वर्णकार के नेतृत्व में किया जा रहा है। वसंत र्स्वणकार ने प्राे बीबी लाल के बाद दो बार पुराना किले में खोदाई करा चुके हैं।

दरअसल, पुराने किले में चार बार की हुई खुदाई में वे चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत के समय से जोड़ कर देखा जाता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में जिस जगह पांडवों की राजधानी बताई गई है, वर्तमान में वह स्थान दिल्ली में पुराना किला परिसर टीले पर स्थित है। इस सच्चाई का पता लगाने के लिए सोलहवीं शताब्दी में बने पुराने किले के नीचे परीक्षण के तौर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक प्रो. बीबी लाल द्वारा 1954-55 और 1969-1973 में खुदाई कराई गई थी। इसके ठीक 41 साल बाद एएसआइ ने 2013-14 और फिर 2017-2018 में यहां खुदाई कराई।

अबतक खुदाई कई ऐतिहासिक चीजें मिली

पुराना किला में चारों बार कराई गई खुदाई में टेराकोटा के खिलौने और बढ़िया भूरे रंग के चित्रित मिट्टी के मिले टुकड़ों से बर्तनों के बारे में पता चला, जिन पर सामान्यतः काले रंग में साधारण चित्रण किए गए थे।ये बर्तन जो पुरातत्व विशेषज्ञ के बीच भूरे रंग के चित्रित बर्तनों के नाम से विख्यात हैं। ये ईसा से 1000 वर्ष पूर्व के हैं। चूंकि ऐसे प्रमाण वाले बर्तन महाभारत की कहानी से संबद्ध अनेक स्थलों पर पहले भी पाये गए थे और इनका काल 1000 ईसा पूर्व निर्धारित किया गया था। इनके यहां से प्राप्त होने से महाभारत के प्रसिद्व पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का पुराने किले के स्थल पर होने वाली परंपरा को बल मिला है।

कहा जाता है कि पांडवों ने ईसा पूर्व 1400 वर्ष सबसे पहले दिल्ली को अपनी राजधानी इन्द्रप्रस्थ के रूप में बसाया था।एएसआइ द्वारा कराई गई खुदाई से पता चला था कि लगभग 1,000 ईसा पूर्व के काल में यहां लोग रहते थे। खोदाई में मिले विशिष्ट प्रकार के बर्तनों और स्लेटी रंग की चीजों के इस्तेमाल से इसकी पुष्टि होती है। यहां खोदाई में मिले बर्तनों के अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों की मान्यता है कि यही जगह पांडवों की राजधानी रही होगी।