गवर्नर्स सेमीनार में बोली वित्त मंत्री - भारत ने दिखा दिया कि पैमाना और गति साथ चल सकते हैं
- Post By Admin on Jul 05 2025

रियो डी जेनेरियो/नई दिल्ली : भारत ने यह साबित कर दिया है कि 'पैमाना और गति एक साथ चल सकते हैं'। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 'गवर्नर्स सेमिनार' को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत आज एक अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं का भी प्रतिनिधित्व कर रहा है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि सतत विकास (Sustainable Development) के वित्तपोषण की चुनौती केवल पैसे जुटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्वास, न्याय और नेतृत्व के निर्माण से भी जुड़ा है। उन्होंने बताया कि भारत आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका जैसे जरूरी सेवाओं की पहुंच को अंतिम छोर तक पहुंचाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है, वहीं जलवायु परिवर्तन के जोखिमों से निपटने के लिए भी ठोस कदम उठा रहा है।
भारत बना मॉडल: UPI, आधार और जनधन जैसी पहलों का जिक्र
सीतारमण ने कहा कि भारत ने UPI, आधार और जनधन जैसी तकनीकी और वित्तीय पहलों के जरिये वित्तीय समावेशन को नए मुकाम पर पहुंचाया है। उन्होंने भारत को एक ऐसा देश बताया जहां एक अरब से अधिक लोगों की आकांक्षाएं जलवायु संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों से टकरा रही हैं, लेकिन देश ने हर मोर्चे पर सामंजस्य साधते हुए विकास को गति दी है।
2030 एजेंडे के लिए भारत की प्रतिबद्धता
सीतारमण ने वैश्विक मंच पर चेताया कि कोविड के बाद विकासशील देशों में SDG को पूरा करने के लिए हर साल 4.2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की वित्तीय आवश्यकता है। उन्होंने इसे "महत्वाकांक्षा और हकीकत के बीच बढ़ती खाई" बताया। उन्होंने सभी देशों से EMDEs (Emerging Markets and Developing Economies) के साथ मिलकर समावेशी और सतत विकास के लिए साझेदारी की अपील की।
ग्रीन एनर्जी और जलवायु नीति में भारत की अग्रणी भूमिका
वित्त मंत्री ने बताया कि भारत ने 220 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, और गति शक्ति मास्टर प्लान जैसी पहलों से क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन को गति दी है। इसके अलावा, सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड, ईएसजी डिस्क्लोजर मेनडेट और जलवायु वित्त के लिए टैक्सोनॉमी जैसे कदम उठाकर भारत ने ग्रीन फाइनेंस का मजबूत आधार तैयार किया है।
निर्मला सीतारमण का संबोधन न केवल भारत की नीति-गत प्रतिबद्धताओं को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि भारत अब वैश्विक नेतृत्व की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है—सतत विकास, वित्तीय समावेशन और जलवायु संतुलन के संतुलित मॉडल के साथ।