फास्टैग सिस्टम खत्म, GNSS सिस्टम लागू, जानें क्या है नियम
- Post By Admin on Sep 11 2024
नई दिल्ली : मंगलवार को सड़क परिवहन मंत्रालय ने टोल वसूली के लिए नई प्रणाली ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लागू करने की घोषणा की। इस उपग्रह-आधारित प्रणाली में वाहन चालकों को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) का उपयोग कर अपनी यात्रा की दूरी के हिसाब से टोल शुल्क देना होगा। मंत्रालय ने नए नियमों के तहत 20 किलोमीटर तक की यात्रा को टोल-मुक्त करने का प्रावधान किया है।
कैसे काम करेगा GNSS सिस्टम?
यह नई प्रणाली शुरुआत में प्रमुख राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर लागू की जाएगी, जहां मौजूदा टोल नाकों को धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा। जीपीएस और ओबीयू से लैस वाहनों से उनकी यात्रा की दूरी के आधार पर स्वत: टोल वसूला जाएगा। इस तकनीक के साथ टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी।
टोल वसूली में होगा बड़ा बदलाव
नई प्रणाली लागू होने के बाद वाहन चालकों को *फास्टैग* की तरह पूरे मार्ग का एकमुश्त शुल्क नहीं देना होगा। इसके स्थान पर उन्हें सिर्फ उतनी ही दूरी के लिए टोल देना होगा, जितनी उन्होंने यात्रा की है। 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर टोल फ्री होगा, और इसके बाद दूरी के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा।
सिस्टम की विशेषताएं
- GNSS प्रणाली से लैस वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
- *मंत्रालय* ने स्पष्ट किया कि GNSS सिस्टम न रखने वाले वाहनों से मान्य टोल दरों के हिसाब से शुल्क वसूला जाता रहेगा।
- नई प्रणाली के तहत प्रत्येक वाहन पर एक *ओबीयू डिवाइस* लगेगा, जिससे उसकी लोकेशन ट्रैक की जाएगी।
बढ़ेगा राजस्व संग्रह
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) वर्तमान में सालाना लगभग 40,000 करोड़ रुपए का टोल राजस्व एकत्र करता है। नई प्रणाली के लागू होने के बाद अगले कुछ वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर *1.40 लाख करोड़* रुपए होने की उम्मीद है।
GNSS के तहत टोल प्रणाली से वाहन चालकों को न केवल समय की बचत होगी, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैफिक जाम की समस्या से भी राहत मिलेगी।