गाजा युद्ध पर सख्त रुख : स्लोवेनिया ने इजरायल के साथ हथियार व्यापार पर लगाया पूर्ण प्रतिबंध
- Post By Admin on Aug 02 2025

स्लोवेनिया : गाजा पट्टी में जारी संघर्ष और मानवीय संकट को लेकर यूरोप के एक छोटे मगर स्पष्टवक्ता देश स्लोवेनिया ने इजरायल के खिलाफ एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है। स्लोवेनिया ने इजरायल के साथ सभी तरह के हथियारों के व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय उसे यूरोपीय संघ का पहला ऐसा देश बनाता है जिसने गाजा युद्ध के चलते इस स्तर की कार्रवाई की है।
"संवेदनशीलता पर समझौता नहीं": स्लोवेनियाई सरकार
सरकारी बयान में कहा गया है, "यूरोपीय संघ की आंतरिक असहमति ने उसे कार्रवाई करने से रोक दिया है, लेकिन स्लोवेनिया चुप नहीं बैठ सकता। गाजा में बच्चों समेत आम नागरिक मलबे में दबकर मर रहे हैं, उन्हें साफ पानी, दवा और भोजन तक नसीब नहीं है।"
इस प्रतिबंध का सीधा असर भले ही व्यावसायिक दृष्टिकोण से बहुत बड़ा न हो, क्योंकि स्लोवेनिया और इजरायल के बीच हथियारों का लेन-देन पहले ही सीमित था, लेकिन यह कदम वैश्विक स्तर पर एक तीखा कूटनीतिक संदेश जरूर है।
पहले से कड़े कदम उठा चुका है स्लोवेनिया
इससे पहले जुलाई 2025 में स्लोवेनिया सरकार ने दो कट्टरपंथी इजरायली मंत्रियों को वीज़ा देने से इनकार कर दिया था, जिन पर फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा भड़काने और नरसंहार जैसी टिप्पणियों के आरोप लगे थे।
इतना ही नहीं, जून 2024 में स्लोवेनिया की संसद ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता भी दी थी, जिससे वह आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया।
यूरोप में बढ़ रहा विरोध, लेकिन कदम सीमित
स्लोवेनिया का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब कई अन्य यूरोपीय देश भी इजरायल के खिलाफ सख्त हो रहे हैं।
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ब्रिटेन ने कुछ रक्षा निर्यातों को निलंबित किया है।
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स्पेन ने अक्टूबर 2023 में हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था।
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नीदरलैंड ने निर्यात नियंत्रण कड़े किए हैं,
जबकि फ्रांस और बेल्जियम में हथियार निर्यात को लेकर कानूनी चुनौतियां सामने आ रही हैं।
मानवाधिकार उल्लंघन पर वैश्विक दबाव
गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी कई बार चिंता जताई है। स्लोवेनिया के इस फैसले को प्रतीकात्मक मगर दृढ़ विरोध के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे वैश्विक बिरादरी को यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि मानवीय संकट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।