टेक्सास की हनुमान मूर्ति पर रिपब्लिकन नेता की विवादित टिप्पणी, हिंदू समर्थकों में रोष

  • Post By Admin on Sep 23 2025
टेक्सास की हनुमान मूर्ति पर रिपब्लिकन नेता की विवादित टिप्पणी, हिंदू समर्थकों में रोष

वाशिंगटन : टेक्सास के शुगर लैंड में स्थापित 90 फुट ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति को लेकर रिपब्लिकन नेता अलेक्जेंडर डंकन की टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया है। यह मूर्ति श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थित है और अमेरिका के सबसे ऊंचे हिंदू स्मारकों में से एक मानी जाती है। इसे 'स्टैच्यू ऑफ यूनियन' के नाम से भी जाना जाता है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी से जुड़े डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मूर्ति के खिलाफ आपत्ति जताई। उन्होंने मूर्ति का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "हम टेक्सास में एक झूठे हिंदू भगवान की मूर्ति क्यों लगने दे रहे हैं? हम एक ईसाई राष्ट्र हैं।"

इसके बाद उन्होंने बाइबिल के निर्गमन 20:3-4 का हवाला देते हुए लिखा, "तुम्हें मेरे अलावा किसी और को देवता नहीं मानना चाहिए। तुम्हें अपने लिए किसी भी प्रकार की मूर्ति या आकाश, पृथ्वी या समुद्र में किसी भी चीज की छवि नहीं बनानी चाहिए।"

डंकन की इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया और धार्मिक स्वतंत्रता समर्थकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने इसे 'हिंदू विरोधी और भड़काऊ' करार दिया और टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी से डंकन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।

एचएएफ ने एक बयान में कहा, "क्या आप अपने सीनेट उम्मीदवार को अनुशासित करेंगे, जो आपकी नीतियों के खिलाफ भेदभाव करता है और हिंदू विरोधी नफरत दिखाता है, साथ ही संविधान के पहले संशोधन के स्थापना खंड का अनादर करता है?"

धार्मिक स्वतंत्रता और सर्वधर्म सम्मान के समर्थकों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया यूजर जॉर्डन क्राउडर ने लिखा, "सिर्फ इसलिए कि आप हिंदू नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हिंदू धर्म का सम्मान नहीं करना चाहिए। ईसा मसीह के आने से लगभग 2000 साल पहले वेद लिखे गए थे और उन्होंने ईसाई धर्म पर भी प्रभाव डाला। इसलिए इस धर्म का सम्मान करना और अध्ययन करना बुद्धिमानी है।"

इस मूर्ति की परिकल्पना 2024 में अनावरण के लिए प्रमुख आध्यात्मिक नेता श्री चिन्ना जीयर स्वामीजी ने की थी। स्टैच्यू ऑफ यूनियन न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि एकता, सद्भाव और समावेशिता का भी संदेश देती है। यह वर्तमान में अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची मूर्ति है और भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों तथा सर्वधर्म समूहों का ध्यान आकर्षित कर रही है।